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  • ग्राहकों को ‘करंट’, बिजली कंपनियों को राहत 

ठाणे. लॉकडाउन के दौरान अधिक बिजली बिल भेजे जाने के संदर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस विषय में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. इससे जहां बिजली ग्राहकों को झटका लगा है तो वहीं विद्युत कंपनियों को राहत मिलने की चर्चा है. 

गौरतलब है कि हाल ही में एक सुनवाई में मुंबई उच्च न्यायालय ने दो जनहित याचिकाओं का निपटारा किया, जिसमें लॉकडाउन अवधि के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा बेतहाशा बढ़े बिजली बिलों के खिलाफ अदालत से हस्तक्षेप की मांग की गई थी. अदालत ने देखा कि विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधान और महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए विनियम एक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करते हैं. बिजली से संबंधित मामलों के संबंध में विद्युत अधिनियम 2003 अपने आप में एक पूर्ण संहिता है. इससे बने विनियमों से पीड़ित उपभोक्ताओं को एक मंच मिलता है.

कंज्यूमर फोरम से संपर्क करने को स्वतंत्र

अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रत्येक उपभोक्ता को आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए विनियमों के तहत उपलब्ध शिकायत निवारण फोरम से संपर्क करने की स्वतंत्रता है और इस तरह की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए ऐसे फोरम को निर्देश देते हुए जनहित याचिका का निस्तारण किया गया.

 3 ईएमआई में मिले भुगतान का विकल्प

एक अप्रैल 2010 से लागू नए टैरिफ के बारे में यह उल्लेख किया गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इसे काफी कम किया गया है. यह भी कहा कि जहां मार्च से मई की अवधि के लिए बिल औसत से दोगुने से अधिक है, उपभोक्ता को 3 ईएमआई में भुगतान करने का विकल्प दिया जाना चाहिए. यदि उपभोक्ता वितरण कंपनी की शिकायत निवारण से संतुष्ट नहीं है, तो आईजीआरसी, सीजीआरएफ और विद्युत लोकपाल के पास जाने का विकल्प उपलब्ध है.

ग्राहक सेवा केंद्र में संपर्क करें उपभोक्ता

ऐसे परिदृश्य में, जहां उच्च न्यायालय ने भी बिजली के बिल के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. वहीं टोरेंट पावर ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपने बिल के बारे में किसी भी चर्चा के मामले में ग्राहक सेवा केंद्रों से संपर्क करें. साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे किसी भी अतिरिक्त शुल्क/ब्याज से बचने के लिए अपने बिजली के बिलों का समय पर भुगतान करें जो बाद में नियमों के अनुसार लागू हो सकता है.