Bhiwandi Manpa

  • सबसे बड़ी पार्टी को नहीं मिला मौका

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भिवंडी. भिवंडी मनपा (Bhiwandi Municipal Corporation) में सत्ता पक्ष का अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है। ऑनलाइन महासभा (Online general assembly) में मनपा महापौर प्रतिभा पाटिल (Mayor Pratibha Patil) ने कांग्रेस से बगावत कर कोणार्क विकास आघाडी (Konark Development Aghadi) की सत्ता स्थापन में सहयोगी रहे नगरसेवक मतलूब खान सरदार को विरोधी पक्ष नेता (Opposition leader) घोषित किया है।

मनपा में सर्वाधिक नगरसेवकों की कांग्रेस पार्टी से पूर्व महापौर जावेद दलवी द्वारा पेश की गई विरोधी पक्ष नेता की उम्मीदवारी को दरकिनार कर महापौर द्वारा अपने सहयोगी को ही विरोधी पक्ष नेता की कुर्सी पर आसीन किया गया है। मनपा में सर्वाधिक नगरसेवकों की कांग्रेस पार्टी से मनपा विरोधी पक्ष नेता नहीं बनाए जाने से अधिसंख्यक जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। विपक्षी जनप्रतिनिधियों ने मनपा महापौर एवं नगर सचिव द्वारा की गई कार्रवाई को पूर्णतया असंवैधानिक करार दिया है।

गौरतलब हो कि, भिवंडी मनपा में कुल 90 नगरसेवक हैं। इसमें कांग्रेस के 47, भाजपा के 20, शिवसेना के 12 व कोणार्क विकास आघाडी के 11 सदस्य शामिल हैं। 1 वर्ष पूर्व हुए मनपा महापौर चुनाव में कोणार्क विकास आघाडी प्रत्याशी प्रतिभा पाटिल की जीत सुनिश्चित करने में कांग्रेस के बागी 18 नगरसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 18 बागी कांग्रेसी नगरसेवकों ने कांग्रेस हाईकमान के व्हिप का उल्लंघन करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रितिका प्रदीप रांका के बजाय आर्थिक फायदे हेतु प्रतिभा पाटिल के पक्ष में वोटिंग कर महापौर बनाए जाने में अहम भूमिका निभाई थी। महापौर चुनाव में कांग्रेस पार्टी के व्हिप उल्लंघन मामले को लेकर पूर्व महापौर जावेद दलवी द्वारा कोंकण आयुक्त के समक्ष 18 नगरसेवकों की सदस्यता रद्द किए जाने की दाखिल याचिका प्रलंबित है।

आश्चर्यजनक तथ्य है कि कांग्रेस के 18 बागी नगरसेवकों ने राजनीतिक दांवपेच खेलते हुए सदस्यता रद्द होने से बचाव हेतु राष्ट्रवादी कांग्रेस में प्रवेश कर लिया है। मनपा कानून के जानकारों के अनुसार, भिवंडी मनपा में अभी भी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है, इसलिए कांग्रेस पार्टी का ही विरोधी पक्ष नेता होना कानून सम्मत है। मतलूब खान सरदार को भिवंडी मनपा विरोधी पक्ष नेता नामित किया जाना कानून सम्मत नहीं है।

उक्त संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक प्रशांत लाड, अरुण राऊत, सिराज मोमिन, रिसिका राका, सयाली शेटे, वसीम अंसारी आदि का कहना है कि महापौर द्वारा कांग्रेस के बागी नगरसेवक को विरोधी पक्ष नेता बनाना नितांत गलत है। महापौर द्वारा राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा कर संख्या बल के आधार पर विरोधी पक्ष नेता की नियुक्ति की जानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी के घोषित प्रत्याशी पूर्व महापौर जावेद दलवी को ही कानूनन विरोधी पक्ष नेता बनाया जाना चाहिए। सूत्रों की मानें तो, कांग्रेस पार्टी मनपा विरोधी पक्ष नेता चुनाव को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।