कोविड टेंडर में करोड़ों की अनियमितताएं !

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  • विधानसभा में उठेगा करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला : महेश सुखरामनी 

उल्हासनगर. कोरोना की महामारी से निपटा जा सके उसके लिए आवश्यक दवाईयां और इसी से संबंधित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उल्हासनगर मनपा प्रशासन ने 4 अलग-अलग टेंडर निकाले है जिसकी राशि तकरीबन 17 करोड़ है. 

टेंडर प्रक्रिया को रोका जाए

मनपा में भाजपा के वरिष्ठ नगरसेवक महेश सुखरमानी का आरोप है कि उक्त टेंडर का बारीकी से अध्ययन करने पर उसमें काफी अनियमितताएं नजर आ रही है, जिसमें करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए टेंडर प्रक्रिया को रोका जाए. उक्त मांग को लेकर मनपा के नगरसेवक और भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य महेश सुखरमानी ने ठाणे के जिला अधिकारी राजेश नार्वेकर, उल्हासनगर मनपा कमिश्नर डॉ राजा दयानिधि, मनपा स्वास्थ्य विभाग और महाराष्ट्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस को लिखित रूप से पत्र भेजकर शिकायत की है और इस मामले की जांच कराने की मांग की है. 

सुखरमानी ने लिखा पत्र 

अपने पत्र में सुखरमानी ने लिखा है कि उल्हासनगर मनपा अधिकारियों और सत्तापक्ष की मिलीभगत से कुल 17 करोड़ का टेंडर कोरोना कोविड-19 के नाम पर इलाज  के लिए दिया जा रहा है. जिन ठेकेदारों को यह टेंडर दिया जा रहा है वह व्यक्ति और मनपा अधिकारियों के साथ में सत्तापक्ष के के कुछ लोग मिले हुए है. सुखरमानी का कहना है कि जो 4 टेंडर 17 करोड़ के है. वास्तव में उनका बाजार भाव सिर्फ 8 से 9 करोड़ रुपए के बीच ही हो सकता है.

दोषी मनपा अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए

वहीं, स्थानीय पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा नेता महेश सुखरमानी ने कहा कि उल्हासनगर के अंदर अब सिर्फ 500 मरीज ही एक्टिव कोविड-19 के पेशेंट है इस पर करोड़ों की बजाए जितना जरूरी है उतना ही खर्च करने का प्रावधान मनपा को करना चाहिए. अपने पत्र के माध्यम से महेश सुखरामनी ने उल्हासनगर मनपा कमिश्नर डॉक्टर राजा दयानिधि से अनुरोध किया है कि इस 17 करोड़ के टेंडर को जल्द रोका जाए और इसकी जांच कराई जाए और दोषी मनपा अधिकारियों और सत्ता पक्ष के लोगों पर कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले को विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष  देवेंद्र फडणवीस द्वारा विधानसभा में उठाया जाएगा और कोरोना के नाम पर महाघोटाले का पर्दाफाश जल्द ही किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा जल्द ही एक पत्रकार परिषद के माध्यम से वह सच्चाई सामने लाएंगे की किस तरह टेंडर में कई गुना राशि अधिक भरी गई है जो मार्केट में सस्ती है अर्थात सरकारी पैसो कि लूट रोकना उनका उद्देश्य है.