सरकार बेपरवाह, पावरलूम नगरी के कई मजदूर ट्रेन सुविधा से रहे वंचित

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2 लाख मजदूर, अभी तक मात्र 9 प्रवासी ट्रेनें की चलाई जा सकी 

भिवंडी. वैश्विक महामारी कोरोना से हुए 25 मार्च से लॉक डाउन की वजह से भिवंडी पावरलूम उद्योग सहित समस्त रोजगार पूर्णतया ठप हो चुका है. सरकार एवं शासन द्वारा मजदूरों के खानपान एवं सुरक्षा पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं किए जाने से परेशान होकर करीब 2 लाख मजदूरों ने भिवंडी से मुलुक पलायन कर दिया है. आश्चर्यजनक तथ्य है कि केंद्र एवं राज्य सरकार के तमाम दावों के बावजूद भिवंडी पावरलूम नगरी से अभी तक 9 प्रवासी ट्रेनें की चलाई जा सकी हैं, जिसमें करीब तेरह हजार पांच सौ प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने की सुविधा मिल सकी. बावजूद करीब डेढ़ लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने पैदल, ट्रक, ऑटो, रिक्शा, साइकिल, टेंपो आदि से दुख भोगते हुए मुलुक पलायन करने को मजबूर हो गए. शासन की उदासीनता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि पावरलूम नगरी भिवंडी से करीब 2 लाख मजदूरों को मुलुक भेजने हेतु सिर्फ 9 प्रवासी ट्रेनों को चला कर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया गया है.

गौरतलब हो कि 25 मार्च से हुए लाक डाउन की वजह से बंद हुए रोजगार के कारण मजदूरों को खाने के लाले पड़ गए थे. बदहाली, भुखमरी से तंग होकर भिवंडी पावरलूम नगरी से करीब 2 लाख  प्रवासी गरीब मजदूरों ने परिवार एवं सामान सहित मुलुक पलायन करने में भलाई समझी है. शासन, प्रशासन की तरफ से गरीब मजदूरों के खानपान एवं सुरक्षा पर सकारात्मक ध्यान नहीं दिए जाने के कारण भिवंडी पावरलूम नगरी आंशिक तौर पर मजदूरों से बिहीन हो चुकी है. लाखों लोगों को पावरलूम उद्योग से रोजगार प्रदान करने वाली नगरी जैसे सुनसान हो गई है. प्रवासी मजदूर अब भिवंडी लौटकर कब आएंगे यह कहना नितांत कठिन है.

केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रही उंगलियां

भिवंडी में रहने वाले कई प्रबुद्ध नागरिकों, धन्ना सेठों, पावरलूम मालिकों एवं समाजसेवी संगठनों ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर तंज कसते हुए कहा कि वैश्विक महामारी का अंदाजा होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन के पूर्व मजदूरों को मुलुक भेजने की तैयारी दिखानी चाहिए थी जो नहीं निभाई गई. लॉकडाउन के बाद प्रवासी गरीब मजदूर रोजगार बंद हो जाने से बेरोजगार हो गए और दाना-पानी को मोहताज हो गए.

परेशान हाल प्रवासी गरीब मजदूरों ने लॉक डाउन खुलने की आस में करीब डेढ़ माह भिवंडी पावरलूम नगरी में इधर उधर भटक कर भीख मांग कर खाना खाया और जब यह समझ लिया कि लॉक डाउन किस्तों में बढ़ाया जा रहा है तो घर जाने में ही भलाई समझी. केंद्र सरकार अगर लॉक डाउन के पूर्व मजदूरों को घर जाने को कह देती तो मजदूरों को कतई परेशानी नहीं होती और मजदूर खुशी-खुशी अपने घर चले जाते और बाद में महामारी संकटकाल खत्म होने के उपरांत फिर पावरलूम नगरी में सहर्ष लौट आते लेकिन भिवंडी से बदहाल जीवनयापन कर गए प्रवासी मजदूरों का अब जल्दी पावरलूम नगरी लौटना नितांत मुश्किल है.लॉक डाउन से मुक्त होने के बावजूद बगैर मजदूरों के पावरलूम नगरी गुलजार होना भी बेहद कठिन दिखाई पड़ रही है. 

राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन भी प्रवासी मजदूरों को लेकर रहे उदासीन 

लॉक डाउन के दरम्यान प्रवासी गरीब मजदूरों को शासन द्वारा आदेश के बाद भी सरकारी दुकानों से राशन नहीं मिल सका जिससे परिवार के साथ रह रहे गरीब प्रवासी मजदूर रोजगार बंद हो जाने से आर्थिक तंगी की वजह से बदहाली झेलने को मजबूर हो गए.शासन द्वारा प्रवासी मजदूरों के खानपान की सुविधा लॉक डाउन के 1 माह बाद की गई जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ. भिवंडी में प्रवासी मजदूरों की संख्या 2 लाख बावजूद मनपा कम्युनिटी किचन में खाना पकाया गया 50-60 हजार मजदूरों के लिए. प्रवासी मजदूरों ने सामाजिक संगठनों, पुलिस, स्वयंसेवी संस्थाओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि, महामारी संकट काल में शासन तो बेपरवाह रहा बावजूद सामाजिक संगठनों, पुलिस, स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अन्नदाता का रोल निभाते हुए पेट की भूख मिटाने हेतु जो मानवीयपूर्ण कार्य किया है वह बेहद सराहनीय, ऐतिहासिक है. 

भिवंडी में आरक्षण केंद्र भी बंद

रेल मंत्रालय द्वारा ठाणे, कल्याण, बदलापुर आदि रेल स्टेशनों पर आरक्षण केंद्र खोला गया है बावजूद पावरलूम नगरी स्थित भिवंडी रोड रेल स्टेशन पर मौजूद आरक्षण केंद्र अगले आदेश तक बंद रखा गया है. हजारों लोग प्रतिदिन रेल सुविधा  आरक्षण हेतु रेल स्टेशन का चक्कर काट रहे हैं और मायूस होकर घर  लौट रहे हैं.आरक्षण केंद्रों को खोलने हेतु रेल मंत्रालय द्वारा अपनाई गई दोमुंही नीति से भिवंडीकरों में भारी आक्रोश व्याप्त है.