मूलभूत सुविधाओं से वंचित है म्हारल गांव, नागरिकों में नाराजगी

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    उल्हासनगर. उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले म्हारल गांव (Mharal village) की आबादी तकरीबन 1 लाख पहुंचने को है, लेकिन गांव के नागरिक अभी भी श्मशान भूमि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Center) की सुविधा से वंचित है। गांव के अलावा परिसर में बड़े-बड़े आवासीय संकुल बन जाने के बाद कोई स्वतंत्र पुलिस स्टेशन भी नहीं है। म्हारल गांव में नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो इसलिए गांव के कुछ युवको ने मिलकर  ‘मिशन माय म्हारल’ शुरू कर विविध सरकारी महकमों से पत्र व्यवहार प्रारंभ किया है, जिसके कुछ सुविधाएं मिल सके। 

    इन युवाओं ने म्हारल की समस्या को लेकर हजारों पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री को भेजे है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र व पोस्ट कार्ड में इन कार्यकर्ताओ ने लिखा है कि अफसोस वाली बात यह है कि एक लाख की आबादी वाले गांव में कोई श्मशान घाट नहीं है। कोई स्वास्थ्य केंद्र और न ही स्वतंत्रता पुलिस स्टेशन है। गांव में किसी का निधन होने पर लोगों को मनपा की सीमा के भीतर अंतिम संस्कार के लिए उल्हासनगर खेमानी क्षेत्र जाना पड़ता है।

    स्वतंत्र पुलिस स्टेशन भी नहीं

    वहीं, गांव वालों की नाराजगी यह भी है कि मनपा की श्मसान भूमि में भी भेदभाव किया जाता है। उल्हासनगर वासियों में से किसी का निधन होने पर मात्र 500 रुपए में अंतिम संस्कार की सहूलियत है, वहीं म्हारल गांव वासियों से अंतिम संस्कार के लिए 1600 से 1800 रुपए तक लिए जाते हैं। साथ ही गांव के गरीब लोगों को इलाज के लिए उल्हासनगर मनपा की सीमा के भीतर सेंट्रल हास्पिटल जाना पड़ता पड़ता है। गांववालों का कहना है कि अगर दहागांव जैसे छोटे से गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया जाता है तो म्हारल गांव में क्यों नहीं? बढ़ती आबादी के कारण म्हारल गांव में अपराध दर बढ़ रहा है. स्वतंत्र पुलिस स्टेशन न होने में कारण गांव के लोगों को शिकायत दर्ज कराने के लिए 15 किमी की दूरी पर टिटवाला पुलिस स्टेशन जाना पड़ता है। म्हारल चौकी में पुलिस की संख्या कम है।

    …तो किया जाएगा आंदोलन

    गांव के युवाओं की मांग है कि जल्द से जल्द एक श्मशान घाट, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एक स्वतंत्र पुलिस स्टेशन होना चाहिए। अगर प्रशासन और अधिकारी इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान नहीं देते हैं, तो आंदोलन किया जाएगा। ‘मिशन माय म्हारल’ के पदाधिकारी निकेत व्याहारे, रविंद्र लिंगायत के मार्गगदर्शन में गांव के युवक अपनी मांगों के लिए लड़ रहे हैं।