Many schemes of Manpa started for Divyang

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नवी मुंबई. सेटेलाईट सिटी की 111 नगरसेवकों वाली महानगर पालिका के चुनाव कब होंगे इसे लेकर हर कोई जानना चाहता है. शिवसेना और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के अगले साल जनवरी में होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन अब यह तिथि और आगे बढ़ गयी है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो महाविकास आघाड़ी सरकार नवी मुंबई मनपा चुनाव को हर हाल में आगे बढ़ाना चाहती है. इसके पीछे कई रणनीतिक कारण हैं जो भाजपा को शिकस्त देने के लिए तैयार किए हैं. ऐसे में मराठा आरक्षण और सरकार के एक साल के कामकाज को लेकर उद्धव सरकार पर हमलावर हुई भाजपा के और भी आक्रामक होने वाली है.

ताकि बन सके मनमाफिक माहौल

फिलहाल राज्य में शिवसेना नित महाविकास आघाड़ी की सरकार है, लेकिन सत्ता का संचालन एनसीपी के नेतृत्व में चल रहा है. कांग्रेस हासिए पर है. हालांकि नवी मुंबई में शिवसेना मजबूत है और एनसीपी कांग्रेस से भी बुरी हालत में पहुंच गयी है. जबसे गणेश नाईक राकां छोड़कर बीजेपी में गए हैं तबसे राष्ट्रवादी में कोई दमदार नगरसेवक तक नहीं बचा है. चुनाव के लिए मजबूत कैंडिडेट की तलाश चल रही है, ऐसे में एनसीपी नहीं चाहती है कि जल्द चुनाव हों. महाविकास आघाड़ी सरकार कोरोना संक्रमण को आगे कर मनपा चुनाव को हर हाल में 6 महीने आगे धकेलने की कोशिश में जुटे हैं. यदि ऐसा होता है तो चुनाव जनवरी फरवरी की बजाय अप्रैल या मई में होंगे. जाहिर है आघाड़ी नेता मनपा चुनाव से पहले अपने मनमाफिक माहौल बनाना चाहते हैं.

राष्ट्रवादी बढ़ा रही वर्चस्व

सूत्रों की मानें तो एनसीपी गणेश नाईक के पार्टी छोड़ने के बाद से ही अपना वर्चस्व वापस पाने की जुगत में लगी है. डिप्टी सीएम अजीत पवार का ध्यान नवी मुंबई पर कुछ ज्यादा ही है. बीते एपीएमसी चुनाव में बीजेपी पैनल और गणेश नाईक गुट को हराकर अजीत पवार ने यहां अपनी पकड़ साबित कर दी है. खबर ये है कि नाईक के सानिध्य में रहने वाले भाजपा के 20 से 25 नगरसेवक राष्ट्रवादी में जाने की राह पर हैं. शिवसेना से भी दलबदल की आशंकाएं चल रही हैं.