Maharashtra government will soon bring a new textile policy, Aslam Shaikh said this about the development of powerloom sector
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भिवंडी. वैश्विक महामारी कोरोना (Global epidemic corona) प्रसार नियंत्रण हेतु किए गए लाकडाउन (Lockdown) से बंद हुए कपड़ा उद्योग (textile industry) में अनलॉक के उपरांत कुछ तेजी आई लेकिन कुछ समय बाद ही यह समाप्त हो गया। पिछले 2 माह से यार्न की कीमतों में भारी इजाफा होने से कपड़ा व्यापारियों को ग्रे क्लॉथ भारी नुकसान में बेचना पड़ रहा है। सिंथेटिक, कॉटन यार्न की कीमतों में भारी वृद्धि होने के बावजूद ग्रे कपड़े के भाव में कोई वृद्धि नहीं होने से कपड़ा व्यापारियों में मायूसी फैली है। पावरलूम उद्योग में व्याप्त भयंकर मंदी की वजह से परप्रांतीय मजदूर भी वापस घर की राह पकड़ने लगे हैं।

 गौरतलब हो कि पिछले साल 22 मार्च को हुए लाकडाउन के कारण पावरलूम उद्योग सितंबर 2020 तक पूर्णतया बंद रहा। सितंबर माह के उपरांत स्थिति में कुछ सुधार होने पर कपड़ा व्यापारियों को लगा कि कपड़ा उद्योग मजबूती के साथ कुछ समय तक जरूर चलेगा। लेकिन मजदूरों की भारी कमी में शुरू हुआ कपड़ा उद्योग 3 माह में ही मंदी की चपेट में आकर दम तोड़ने लगा है।

कपड़ा व्यापारी मनोज दुढाणी, श्रीराज सिंह, माणिक सुल्तानिया, हाजी वल्ली अंसारी, वसंत परमार, मुनिराज यादव, जुबेर शेख, महेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह, लाल मो. अंसारी, रईस अंसारी, लियाकत अंसारी आदि के अनुसार, कपड़ा उद्योग बेहद मंदी के दौर से गुजर रहा है। यार्न का भाव सेंसेक्स की तरह निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। विगत 2 माह में ही 25 से 50% सभी क्वालिटी का यार्न महंगा हो गया है। यार्न के भाव की अपेक्षा तैयार कपड़ा घाटे में बेचना पड़ रहा है जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कपड़ा घाटे में बिकने की वजह से पावरलूम कारखानों के बिजली बिल का भी भुगतान नहीं हो पा रहा है।

सप्ताह में 2-3 दिन पावरलूम कारखानों को बंद रखना मजबूरी हो गई है। अनलॉक होने पर पावरलूम उद्योग में कोई तेजी न होने से पावरलूम कारखाना मालिकों की कमर टूट गई है। पावरलूम उद्योग में व्याप्त भारी मंदी से परेशान पावरलूम मजदूर खुशाल विश्वकर्मा, रवि वर्मा, चंदर शर्मा, लियाकत अंसारी, अयूब खान, सफीक भाई, अकरम भाई आदि का कहना है कि भिवंडी पावरलूम उद्योग में तेजी व मंदी का पता नहीं लगता है। भिवंडी पावरलूम उद्योग में छाई भारी मंदी की वजह से पावरलूम कारखाने बंद हो रहे हैं जिससे घर वापस लौटना मजबूरी हो गई है।

सरकारी राहत की दरकार 

पावरलूम उद्योग से जुड़े संगठनों का कहना है कि तमाम शहरों में चल रहे पावरलूम उद्योग की खुशहाली हेतु केंद्र सरकार को कपड़ा उद्योग को विशेष आर्थिक पैकेज देने की जरूरत है। कपड़ा उद्योग की बेहतरी हेतु यार्न मार्केट में निरंतर बढ़ रही कीमतों पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है। यार्न खरीदी और कपड़े की बिक्री में तालमेल होना बेहद जरूरी है। अन्यथा महंगा यार्न खरीद कर घाटे में कपड़ा बेचने वाला व्यापारी कब तक जिंदा रह पाएगा। टेक्सटाइल मंत्रालय को यार्न की कीमतों को करीब 1 माह तक स्थिर रखे जाने हेतु कड़ा कदम उठाना चाहिए ताकि पावरलूम उद्योग से जुड़े कपड़ा व्यापारी घाटे में कपड़ा बेचने से बच सकें। बिजली दरों की कीमतों को नियंत्रित किए जाने की  भी आवश्यकता है। वर्तमान में पावरलूम उद्योग को संकट से उबारने हेतु सरकार के द्वारा कारगर कदम उठाना बेहद जरूरी है।