Maharashtra government will soon bring a new textile policy, Aslam Shaikh said this about the development of powerloom sector
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    भिवंडी. वैश्विक महामारी कोरोना प्रसार नियंत्रण के लिए एक सप्ताह पूर्व राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन (Lockdown) के संकेत दिए जाने के साथ ही पावरलूम नगरी भिवंडी (Bhiwandi) से मजदूरों (Laborers) का पलायन शुरू हो गया था। लॉकडाउन के संकेत से घबड़ाए और यूपी (UP) में ग्राम पंचायत चुनाव (Gram Panchayat Election) में सहभागिता निभाने के लिए पावरलूम मजदूर भारी तादाद में बोरिया-बिस्तर समेट कर गांव जा चुके हैं। पावरलूम नगरी से मजदूरों के भारी संख्या में हुए पलायन के कारण पावरलूम उद्योग की खटपट पर कमोवेश विराम लगना शुरू हो गया है। 

    मजदूरों की भारी कमी से रोजगार परक उद्योग कमोवेश बंदी के कगार पर खड़ा हो गया है। पावरलूम उद्योग बन्दी की आशंका से ही पावरलूम मालिकों को पसीने आने लगे हैं। गौरतलब हो कि एक सप्ताह पूर्व से ही आंशिक लॉकडाउन के साथ ही उद्धव सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण प्रसार रोकने की के लिए लॉकडाउन लगाए जाने के संकेत दिए जाने लगे थे। एक सप्ताह पूर्व हुए आंशिक लॉकडाउन की वजह से मजदूरों में लॉकडाउन लगने का भय सताने लगा था। कोरोना की शुरुआत में विगत वर्ष पावरलूम मजदूरों को रोजगार बंद होने और आवागमन के समस्त वैकल्पिक साधन बंद होने से जहां भूखों मरने की नौबत आई थी वहीं मुलुक पहुंचने में खासी कठिनाई व नाकों चने चबाने पड़े थे।सरकार द्वारा 14 अप्रैल रात्रि 8 बजे से 1 मई तक घोषित लाकडाउन के पूर्व ही पावरलूम नगरी के अधिकांश मजदूर अपना हिसाब-किताब लेकर बोरिया- बिस्तर समेट कर गांव पलायन कर चुके हैं।

    ट्रेनें हो रहीं फुल,यात्री झेल रहे परेशानी

     2 दिन पूर्व भिवंडी से प्रतापगढ़, जौनपुर बस्ती, गोरखपुर, डुमरियागंज, फैजाबाद, सुल्तानपुर आदि क्षेत्रों में जाने वाले मजदूर शिवनरायण वर्मा, रामतीरथ यादव, रामलवटू, प्यारेलाल पासी, शिवपाल यादव, रामभंवर सिंह, कृपाल लोधी आदि मजदूरों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर भारी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार सिर्फ अमीरों की है। गरीबों की कोई मदद नहीं हो रही है। परप्रान्तीय गरीब मजदूरों को कोरोना जांच की भी सुविधा सरकार ने मुहैया नहीं कराई। पिछली बार केंद्र सरकार ने ट्रेनों में वेटिंग टिकट, आरएसी एवं चालू टिकट कोरोना संक्रमण प्रसार रोकने के लिए पूर्णतया बंद कर दिया था, लेकिन अब रेल मंत्रालय यात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। परप्रांतीय गरीब मजदूर रेल स्टेशनों पर लंबी कतार लगाकर एवं आइपीएफ का डंडा खाकर डिब्बों में बोरिया बिस्तर जैसे ठूंसे जा रहे हैं। मजदूरों का आरोप है कि केंद्र सरकार एवं रेल मंत्रालय ट्रेनें तो चालू किए है लेकिन रिजर्वेशन की कोई सुविधा मजदूरों को नहीं मिलती है। उत्तर भारत की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनें पूर्णतया फुल हैं। गरीब मजदूर घर जाने के लिए बेताब हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ के कारण शासन के कोरोना नियंत्रण निर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा है। सरकार को मजदूरों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए अन्यथा लाकडाउन अनलॉक होने के उपरांत भी उद्योग, व्यापार शुरू होना मुश्किल हो जाएगा। 

    अब गांव में रहकर ही कोई रोजगार ढूंढना पड़ेगा

    रामसुमेर पाल, रामभजन, लीलाधर यादव, प्रेमपाल सिंह आदि पावरलूम मजदूरों ने दुखड़ा बयान करते हुए कहा कि कोरोना महामारी की वजह से अब मुंबई, भिवंडी में रहना बेहद मुश्किल है। सरकार गरीब मजदूरों के हितों की चिंता नहीं करती है अब गांव में रहकर ही कोई रोजगार ढूंढना पड़ेगा।

    मजदूरों के पलायन से पावरलूम मालिकों की बढ़ी बेचैनी

    करीब 15 दिनों से भिवंडी से परप्रांतीय मजदूरों के तेजी से शुरू पलायन की वजह से पावरलूम नगरी से गत 15 दिनों में करीब 60% से अधिक मजदूर बोरिया-बिस्तर समेट कर मुलुक जा चुके हैं। मजदूरों के पलायन से पावरलूम मशीनों सहित डाइंग, साइजिंग,मोती कारखानों में भी मशीनों की खटपट बंद होने लगी है जिससे मालिकों के माथे पर पसीना छलकना शुरू हो गया है।