99 employees coming late will be cut for half a day

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भिवंडी. वैश्विक महामारी संकटकाल में शासन द्वारा भिवंडी शहर स्थित सभी निजी अस्पतालों को मरीजों का समुचित उपचार किए जाने का आदेश महाराष्ट्र नर्सिंग कायदा तहत के दिया गया है. बावजूद निजी अस्पताल कोरोना मरीजों की आड़ में अन्य मरीजों का भी इलाज नहीं कर रहे हैं. उपचार न मिलने से अन्य संक्रामक बीमारियों के मरीज दर-दर भटकने की मजबूरी झेल रहे हैं. भिवंडी कल्याण मार्ग स्थित सुप्रीम हॉस्पिटल द्वारा एक गर्भवती महिला का उपचार नकारे जाने से मनपा आयुक्त डॉ. पंकज आशिया ने सुप्रीम हॉस्पिटल व्यवस्थापन को अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

अस्पताल प्रबंधकों में हड़कंप 

मनपा आयुक्त आशिया द्वारा निजी अस्पतालों पर उठाए गए कड़े कदम से समूचे शहर में स्थित निजी अस्पताल के संचालकों में हड़कंप मच गया है. सुप्रीम अस्पताल व्यवस्थापन को शासन के दिशा निर्देशों व महाराष्ट्र नर्सिंग कानून के तहत नोटिस जारी कर  जवाब मांगा है. कहा गया है कि गर्भवती महिला का उपचार नकारे जाने की  लापरवाही से अस्पताल की मान्यता को क्यों रद्द न कर दी जाए और साथ ही रोग प्रतिबंधात्मक कायदा आईपीसी 188 के तहत फौजदारी गुनाह क्यों न दर्ज कराया जाय ?  मनपा आयुक्त आशिया के कड़क नोटिस से निजी अस्पताल प्रबंधकों में हड़कंप मच गया है.

गौरतलब हो कि कोरोना महामारी संकटकाल में शासन द्वारा शहर स्थित सभी निजी अस्पतालों को मरीजों का आवश्यक उपचार किए जाने का फरमान सुनाया गया है. शासन के आदेश के बावजूद शहर के अधिसंख्य निजी अस्पताल संकट काल में भी मरीजों का उपचार न करते हुए पल्ला झाड़ते देखे जाते हैं. निजी अस्पतालों में मरीजों का उपचार न होने से कोरोना संक्रमण का प्रसार बेहद तेजी से हो रहा है. मनपा द्वारा लागू की गई तमाम उपाय योजनाएं निरर्थक साबित हो रही हैं. मनपा प्रशासन निजी अस्पतालों को बार-बार शिकायती पत्र देकर मरीजों का उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश देता जरूर है बावजूद निजी अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमण की आड़ लेकर मरीजों के उपचार में लापरवाही एवं आनाकानी करते देखे जाते हैं.