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    ठाणे. राज्य सरकार (State Government) द्वारा हरी झंडी देने के डेढ़ वर्ष बाद ठाणे महानगरपालिका (Thane Municipal Corporation) कर्मचारियों (Employees) के लिए सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission) लागू करने  बुधवार को हुई महासभा की बैठक में सुझावों के साथ मंजूरी दे दी गई। इस मंजूरी के साथ ही मनपाकर्मियों के सातवां वेतन आयोग का लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। दूसरी तरफ, इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से मनपा कर्मियों के वेतन में अब 12 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। इस स्थिति में टीएमसी (TMC) की तिजोरी पर वार्षिक 114 करोड़ 79 लाख का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।

    उल्लेखनीय है कि सातवां वेतन आयोग के शिफारिस के अनुसार राज्य सरकार और पात्र कर्मचारियों को संशोधित वेतन श्रेणी को लेकर निर्णय लेने के लिए सेवामुक्त सनदी अधिकारी के. पी. बक्षी के मार्गदर्शन में एक समिति की स्थापना की गई थी। इस समिति के शिफारिस के अनुसार मुंबई को छोड़कर अन्य मनपाओं में कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग की श्रेणी में शामिल करने के लिए सरकार ने दो अगस्त 2019 में निर्णय लिया था, लेकिन सरकार के इस आदेश का ठाणे मनपा में कार्यान्वयन नहीं हो सका था। करीब डेढ़ वर्ष  के बाद सातवां वेतन आयोग का प्रस्ताव मनपा की महासभा में मंजूरी के लिए लागा गया। इसके तहत महासभा में चर्चा के दौरान प्रस्ताव में कुछ खामियों को दूर करने की सलाह  सदस्यों ने दी।

    प्रस्ताव को सुझावों के साथ मंजूर कर लिया गया

    इसके साथ ही कई सदस्यों ने ग्रेड पे में कुछ खामियों को सामने लाया। इसके बाद प्रस्ताव को सुझावों के साथ मंजूर कर लिया गया। उल्लेखनीय है कि ठाणे मनपा में 10 हजार 500 पद मंजूर हैं, जिसमें से 6500 पदों को भरा गया है, इसके साथ ही शिक्षा मंडल में डेढ़ हजार कर्मचारी हैं, उन्हें संसोधित वेतन श्रेणी का लाभ मिलने लगेगा। टीएमटी भले ही मनपा द्वारा संचालित की जा रही हो, लेकिन यह स्वतंत्र प्रतिष्ठान है। इसके चलते टीएमटी कर्मियों के वेतन वृद्धि में किसी तरह का अतंर नहीं किया गया। इसके अलावा मनपा के अधिकारियों और कर्मचारियों को पाटिल पंचाट के अनुसार संसोधित वेतन श्रेणी लागू किया गया था। इसकी अवधि भी 31 जनवरी 2015 को समाप्त हो गई। इसके चलते एक जानेवारी 2016 से सातवां वेतन आयोग के अनुसार संसोधित वेतन श्रेणी लागू करने की मांग कामगार संगठनों ने की थी। उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए इस प्रस्ताव को तैयार किया गया है। 

    782 करोड़ रुपए प्रस्तावित किया 

    इस वेतन श्रेणी को लागू करते समय यदि साल 2016 से 2021 इस अंतर का भुगतान करने पर कम से कम 500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसी बीच हाल ही समाप्त हुए वित्त वर्ष में कर्मचारियों के वेतन भत्ता के तौर पर 619 करोड़ रुपए का भूगतान किया गया है। आगामी वित्त वर्ष के बजट को पेश करते समय कमिश्नर ने यह खर्च 782 करोड़ रुपए प्रस्तावित किया है। इसमें वेतन वृद्धि के तौर पर 75 करोड़ रुपए अनुमानित है। महासभा की मंजूरी मिलने के बाद संसोधित बजट में शेष राशि को प्रस्तावित किया जाएगा।