बरसात में फिर करना पड़ रहा है सर्वेक्षण

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दो मनपा आयुक्तों के आदेशों के बीच पीस रहे हैं शिक्षक 

ठाणे. ठाणे में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. मनपा प्रशासन के लाखों उपायों के बावजूद यहाँ पर कुल संक्रमितों की संख्या 11 हजार के पार पहुँच चुका है. ऐसे में मनपा के हाथ-पांव फूले नजर आ रहे हैं. मनपा प्रशासन अब सर्वेक्षण का काम शिक्षकों के जिम्मे सौंपा है. लेकिन इस सर्वे में दो आयुक्तों के आदेशों के बीच शिक्षक पिसते नजर आ रहे हैं. क्योंकि भरी बरसात में जहाँ पर पूर्व आयुक्त विजय सिंघल के आदेश पर शिक्षकों ने सर्वे किया था, वहीं फिर से वर्तमान आयुक्त विपिन शर्मा ने सर्वे का आदेश दिया है. इससे नागरिकों में तो नाराजगी देखी ही जा रही है. शिक्षकों को भी नागरिकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.   

दरअसल पहले मई और जून माह में शिक्षकों द्वारा विभिन्न परसरों में सर्वे कराने का आदेश प्रशासन की तरफ से जारी किया गया था. जिसे ध्यान में रखते हुए तत्कालीन मनपा आयुक्त विजय सिंघल ने इस संदर्भ में आदेश निकाला. इसके बाद सभी अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों ने सर्वे का काम किया. लेकिन अब इसी बीच विजय सिंघल को हटाकर राज्य सरकार ने विपिन शर्मा को नया आयुक्त बनाया है. शर्मा ने इस संदर्भ में एक नया आदेश शिक्षाधिकारी के जरिये निकलवाया है. जिसके तहत जहाँ पर सर्वे किया गया है, वहां पर फिर से शिक्षकों को जाकर भरी बरसता में सर्वे करना पड़ रहा है.  

शिक्षक कागज संभालें या छाता 

अब मनपा प्रशासन के इस नए आदेश से शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है. शिक्षकों का कहना है कि जब वे पहले भी संबधित जगह का सर्वे कर चुके है और मोबाइल क्रमांक के साथ सभी डाटा संबधित आरोग्य केंद्र में जमा कर चुके है तो अब ऐसे में फिर से भरी बरसात में सर्वे कराने का क्या औचित्य है? साथ ही शिक्षकों का का यह भी कहना है कि मोबाइल से संपर्क कर प्रत्येक व्यक्ति से जानकारी ली जा सकती है. लेकिन आरोग्य केंद्र के लोग डाटा भी फिर उन्हें देने के लिए तैयार नहीं है. उल्टा इस भरी बरसात में छाता पकड़े कि कागजात. कई गलियां संकरी हैं जहाँ पर छाता भी सही तरीके से नहीं खुलता. जिसके कारण परेशानी का सामना उन्हें करना पड़ रहा है और कागजात भी भीग जा रहा है.   

प्रतिदिन 100 घरों के सर्वेक्षण की दी गई है जिम्मेदारी 

ठाणे मनपा प्रशासन के ज़बरदस्ती रवैये के चलते मनपा तथा शहर के अनुदानित स्कूलों के तमाम शिक्षकों में नाराजगी फ़ैल गयी है. शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना के फैलाव को नियंत्रित करने में मदद के लिए लगायी गयी है. इस दौरान शिक्षकों को शहर में घरों में घूम कर लोगो के स्वास्थ्य के बारे में सर्वे करना होता है. दिन में आठ घंटे की ड्यूटी लगाई गयी है और इस दौरान इन्हें कम से कम 100 घरों का सर्वेक्षण अनिवार्य किया गया है. दिन के अलावा रात के समय भी उनकी ड्यूटी लगाई गयी है. शिक्षकों को सुरक्षा साधन जैसे मॉस्क, फेस शील्ड, हैण्ड ग्लोव्ज, सैनिटाइजर इत्यादि चीजें उपलब्ध नहीं कराइ जा रही हैं. ऐसे में खुद की जान पर खेल कर ड्यूटी करने की बात से इनमे जोरो पर नाराजगी बन गयी है.

नोटिस देकर निलंबन की दी जा रही धमकी  

 शिक्षक अपनी और अपने घर वालों की सुरक्षा को लेकर मानसिक तनाव में हैं. शिक्षकों का आरोप है कि यदि किसी बात को लेकर वे विरोध करते हैं तो उन्हें सीधे नोटिस देने और नौकरी से निलंबित करने की धमकी दी जाती है. कुछ शिक्षकों ने बताया है की प्रशिक्षण के दौरान उन्हें कम से कम तीन फ़ीट की शारीरिक दुरी बनाये रखने को कहा गया है लेकिन कई बार गली कूचे, झुग्गी झोपड़े में उन्हें एक फ़ीट की दूरी बनाये रखना मुश्किल होता है. इसके चलते खुद की और फिर अपने घर के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है.

घोड़बंदर रोड स्थित अनुदानित स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कंटेमेंट जोन में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सर्वेक्षण का काम करते वक्त बहुत अधिक खतरा बना हुआ है. एक महिला शिक्षिका ने बताया की उन्हें बिना हैण्ड ग्लोव्ज ही काम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. उसने बताया कि किसी सुरक्षा उपकरण की मांग करने पर संबंधित विभाग के मनपा अधिकारी कहते हैं की इतनी मोटी सेलरी लेते हो तो खुद सामान खरीद लो. रात के समय शिक्षकों की ड्यूटी रेलवे स्टेशन पर आने जाने वालों के सर्वेक्षण के लिए लगायी गयी है, इसके अलावा अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटर में उनकी ड्यूटी लगायी गयी है. कुछ शिक्षिका जो गर्भवती हैं, कई शिक्षक जो हाई ब्लड प्रेसर और डायबिटीज के मरीज हैं, कई की उम्र 55 वर्ष और उसके ऊपर है, ऐसे सभी लोगों की भी ड्यूटी उक्त काम में लगायी गयी है. जिसके चलते तमाम शिक्षकों में खुद के कोरोना की चपेट में आने को लेकर डर बना हुआ है.

शिक्षकों को किया जाए सर्वेक्षण के कामों से कार्यमुक्त 

महाराष्ट्र राज्य शिक्षण क्रांति संघटना के सचिव सुधीर देवराम घागस ने मुख्य मंत्री उद्धव ठाकरे, राज्य के शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को पत्र देकर शिक्षकों की आठ घंटे की बजाय 4 घंटे ड्यूटी लगाने तथा 55 वर्ष और उससे अधिक् उम्र के शिक्षकों, गर्भवती शिक्षिकाओं तथा हाई ब्लड प्रेसर और डाइबटीज से ग्रसित शिक्षकों की ड्यूटी न लगाने की मांग की गयी है. इसके साथ ही शिक्षकों को ड्यूटी के दौरान पीपीई किट देने की भी मांग की गयी है. इसके आलावा शिक्षकों को दी जा रही निलंबन की धमकी को लेकर खेद जताया है और कहा कि बार-बार शिक्षक परिसरों में सर्वेक्षण के जा रहे है और उन्हें अपमानित होना पड़ रहा है. स्थानीय रहिवासी भगा रहे हैं. जोकि गलत है. इसलिए शिक्षकों को कार्यमुक्त किया जाए.