यूथ ऑफ टुडे वेलफेयर फाउंडेशन बेसहारा महिला को घर पहुंचाया

Loading

उल्हासनगर. कहते हैं यदि कोई नेक नीयत से किसी दूसरे इंसान की खातिर अच्छा काम करने का जज़्बा रखता है तो उसकी  मदद के लिए फरिश्ते आ जाते हैं. लगभग 55 वर्षीय एक महिला के लिए यूथ ऑफ वेलफेयर फाउंडेशन से जुड़े बच्चे भगवान के दूत बनकर सामने आए. लॉकडाउन के कारण विगत 3 महीने से फुटपाथ पर दिन काटने पर मजबूर महिला फाउंडेशन की कोशिशों से अपने बेटे से मिल सकी.

महिला का नाम है, लता जीवन शेट्टी एक बीमार और लाचार महिला जो उल्हासनगर की सड़कों पर लॉकडाउन दौरान में पिछले 3 महीनों से बेसहरा भूखी प्यासी घूमा करती थी, कइयों ने उससे पूछताछ की, तब लता ने बताया कि वह उल्हासनगर कैम्प नंबर 4 स्थित भीमनगर की रहिवासी है. घर मालिक ने घर से निकाल दिया उनका बेटा है रवि जीवन शेट्टी है, उनके पास उनके बेटे का पता या फोन नंबर नहीं है. उक्त महिला का फ़ोटो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया. मुलुंड के रहिवासी मितुल पोद्दार के माध्यम से रवि जीवन शेट्टी की खोज की गई और उसके बाद मितुल पोद्दार द्वारा यूथ ऑफ टुडे वेलफेयर फाउंडेशन को संपर्क किया गया. लता शेट्टी के बेटे से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनको पता ही नहीं था कि उनकी मां के साथ इतना कुछ हुआ है, उनकी मां उल्हासनगर में ही रहकर इलाज करवाती थी और बेटा जो पास्टर है वो परिवार के साथ पूना के खेड़ में रहता था.

अंततः यूथ ऑफ टुडे वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा एक ज़िम्मेदारी निभाते हुये मार्शल नाडर, कोमल भागवत, ऋतुजा कांबले और योगेश साखरे ने अपने निजी खर्च से एक कार की व्यवस्था कर  उल्हासनगर से लता शेट्टी को जो पिछले 3 महीने से सड़क पर रह रही थी, उनके बेटे और परिवार जो खेड पुना में रहते है वहां गुरुवार की देर रात सकुशल पहुंचाने में मदद की.

युथ ऑफ टुडे वेलफेयर फाउंडेशन, अम्मु केयर चेरिटेबल ट्रस्ट, बदलापुर रेस्क्यू टीम के सदस्य क्रमशः मार्शल, कोमल, ऋतुजा और योगेश के कारण  बेटा होने के बावजूद तीन महीने से मकान मालिक की वजह से लावारिश की जिंदगी बिताने वाली उल्हासनगर की एक मजबूर लाचार बेसहारा महिला अब अपने बेटे के घर पहुंच गई. गुरुवार की देर शाम जब महीनों से बिछड़े मां बेटे मिले को दोनों गले मिलकर खूब रोए बेटे रवि ने उक्त एनजीओ का बहुत बहुत आभार व्यक्त किया.