फाउंडेशन फॉर इन्वायरमेन्ट एजुकेशन की एक अंतरराष्ट्रीय जूरी ने डेनमार्क के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की एक राष्ट्रीय जूरी द्वारा की गई सिफारिश को सही ठहराया है, जिसमें भारत के 8 बीचेज को ‘ब्लू फ्लैग बीच’ टैग देने की सिफारिश की गई थी। इनमें से कर्नाटक के दो बीच इंटरनेशनल इको-लेबल – ब्लू फ्लैग के लिए शामिल हैं।
इन बीचेज को मिला तमगा:
ब्लू टैग पाने वाले बीचों में शिवराजपुर (गुजरात), घोघला (दीव), कासरकोड और पदुबिद्री (दोनों कर्नाटक में), कप्पड़ (केरल), रुशिकोंडा (आंध्र), गोल्डन (ओडिशा) और राधानगर (अंडमान) हैं। इसके साथ भारत अब दुनिया के 50 ब्लू फ्लैग देशों में शामिल है। पर्यावरण शिक्षा के लिए फाउंडेशन, डेनमार्क के कोपेनहेगन में मुख्यालय, ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन करता है। यह दुनिया के सबसे मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक ईको-लेबल में से एक है।
शिवराजपुर (गुजरात):
द्वारका के रुक्मिणी मंदिर से केवल 15 मिनट की दूरी पर उत्तर में स्थित यह लंबा बीच लाइटहाउस के साथ है। सफेद मिट्टी और दूर—दूर तक दिखते समंदर के साथ यह एक परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है।
घोघला (दीव):
यह बीच दीव मुख्य शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर घोघला गांव में स्थित है। यह पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय बनता जा रहा है। इसमें टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स के साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स की भी सुविधा है।
कासरकोड (कर्नाटक):
यह इको बीच कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के पास स्थित है। इसका उद्घाटन 2013 में हुआ था। इसमें बोटिंग की सुविधा, बच्चों का पार्क आदि कई आकर्षण मौजूद हैं।
पदुबिद्री (कर्नाटक):
यह बीच पदुबिद्री नाम के छोटे शहर में स्थित है और उडुपी से मैंगलोर के रास्ते में आता है। यह पदुबिद्री नागराज एस्टेट बस स्टॉप से लगभग एक किलोमीटर दूर है।
कप्पड़ (केरल):
यह बीच कोझिकोड में कोयिलांडी के पास है, जहां चट्टानें और छोटी पहाड़ियां इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं। यहां प्रवासी चिड़ियां भी देखने को मिलती हैं।
रुशिकोंडा (आंध्र):
यह बीच आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में बंगाल की खाड़ी के तट पर है। यहां हर साल पूरे देश से पर्यटक आकर्षित होकर घूमने के लिए आते हैं।
गोल्डन (ओडिशा):
पुरी का यह लोकप्रिय बीच मुसाफिरों के बीच बहुत लोकप्रिय है, जो करीब के जगन्नाथ मंदिर में आते हैं। आने वाले लोग सीफूड का आनंद लेकर सीशेल कलेक्ट कर सकते हैं।
राधानगर (अंडमान):
अंडमान में राधानगर, हैवलॉक आइलैंड में स्थित है। इसे देश के सबसे बेहतरीन बीच में से एक माना जाता है। इसे टाइम्स मैगजीन ने दुनिया में सातवां सबसे बेहतरीन और एशिया के बेस्ट बीच का खिताब भी दिया है।
फाउंडेशन फॉर इनवॉयरमेंटल एजूकेशन क्या हैं:
एफईई (FEE) का पूरा नाम फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन Foundation for Environmental Education है। इसकी स्थापना सन 1987 में की गई थी। उस समय महज पांच देश इसके सदस्य थे। एफईई एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से सतत विकास को बढ़ावा देना है। FEE पांच कार्यक्रमों के माध्यम से सक्रिय है। इनमें एक ‘ब्लू फ्लैग’ है।
ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिये पानी की गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, विकलांगों हेतु अनुकूलता, प्राथमिक चिकित्सा और मुख्य क्षेत्रों में पालतू जानवरों की न पहुँच, जैसे 33 मानकों को पूरा करना होता है। इन मानकों में से कुछ स्वैच्छिक और कुछ बाध्यकारी हैं।
‘ब्लू फ्लैग’ क्या है:
‘ब्लू फ्लैग’ सर्टिफिकेशन एक वैश्विक सम्मान है जो साफ और सुरक्षित समुद्र तटों को दिया जाता है। अगर कोई समुद्र तट एफईई के 33 मानदंडों पर खड़ा उतरता है, जिनमें पर्यावरण, शैक्षिक और सुरक्षा आदि शामिल हैं। ऐसे तटों को ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन दिया जाता है। देश के 8 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन दिया गया है।