Dubey encounter

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कानपुर. कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में कथित पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलटने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया। पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसे के बाद दुबे ने मौके से भागने का प्रयास किया, जिसके बाद हुई मुठभेड़ में वह मारा गया। वहीं, पुलिस वाहन पलटने से पुलिस निरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी घायल भी हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर है।

अब इस एनकाउंटर पर उत्तर प्रदेश के ही  सेवानिवृत्त IPS अधिकारी डॉ. एन. सी. अस्थाना ने भी सवाल उठाया है। उनका यह कहना था कि जिस गाडी से विकास दुबे को लाया जा रहा था वह एक्सीडेंट के बाद बड़े “सुविधाजनक रूप से” पड़ी हुई थी। गाडी के चारों दरवाजे बंद हैं। सड़क की हालत को देखर नहीं लगता की गाडी को इस प्रकार ओवर टर्न करने की जरुरत पड़ी होगी। चारो तरफ खुले मैदान है और कोई बेवक़ूफ़ भी ऐसा खुले में पुलिस को चुनौती देते हुए नहीं भागेगा। इस तरह यह एनकाउंटर फर्जी प्रतीत होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह आदमी(विकास दुबे) एक पलटी हुई वैन से बाहर निकल गया, हालांकि घायल हो गया था लेकिन फिर भी पुलिस से बचने के लिए भागा और साथ ही पुलिस के हथियार चिनकर उनपर फायरिंग भी की और अंततः वह मारा गया। लेकिन अगर उसके मृत शरीर को देखा जाये तो वह फिर भी इतनी ओह्पोह में और मरने के समय मास्क लगाना न भुला. कम से कम पुलिस को मास्क तो उतार देना था इस घटना को यथार्थवादी बनाने के लिए। 

वहीं इस घटना पर उद्यमी, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पुनावाला ने भी अब इस घटना पर उत्तरप्रदेश पुलिस और योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा केस दर्ज करवाया है। उनका कहना है कि एनकाउंटर फर्जी औत इसकी पड़ताल होनी चाहिए।