नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की

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मथुरा: रात 12 बजते ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. जन्म होते ही ठाकुर जी का पंच गव्य से स्नान हुआ। गाय के दूध से अभिषेक होने के बाद ठाकुर जी का दही, घी, बूरा, शहद और दूध से दिव्य अभिषेक किया जा रहा है. बाल गोपाल का अभिषेक सोने और चांदी से बनी कामधेनु गाय के थनों से निकले दूध से हुआ. उसके पहले बाल गोपाल को चांदी से बने कमल पुष्प में विराजमान किया गया. पंचगव्य के बाद श्रीकृष्ण का यमुना के साथ सरयू के जल से अभिषेक से किया गया. यह पहला मौका था जब जन्माष्टमी पर यहां भगवान श्रीकृष्ण का सरयू नदी के जल से अभिषेक हुआ. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास अपने साथ अयोध्या से सरयू नदी का जल लाए थे, जिससे भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया गया.

अभिषेक के बाद भगवान कृष्ण को रेशम, जरी एवं रत्न प्रतिकृति से बनी पुष्प वृंत पोशाक पहनाई गई. जिसके बाद भगवान की श्रंगार आरती शुरू की गई. अभिषेक के बाद शंख, ढोल नगाड़े और मृदंग की धुन पर भगवान की श्रंगार आरती की गई. श्रंगार आरती के बाद शयन आरती के बाद पूजन पूरा हुआ. कोरोना से मुक्ति पाने के लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान में 5100 दीप प्रज्वलित किए गए.