लव जिहाद : SIT ने सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट, किसी तरह की साजिश के सुबूत नहीं

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कानपुर (उप्र). कानपुर जिले में कथित ‘लव जिहाद’ के प्रकरणों की जांच के लिये गठित विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को सौंप दी। जांच में किसी तरह की साजिश की बात सामने नहीं आयी है। आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी ने उन्हें रिपोर्ट सौंप दी है।

एसआईटी ने कुल 14 प्रकरणों की जांच की, जिनमें से 11 में अपराध होना पाया गया है। इन मामलों में एसआईटी ने पाया कि अभियुक्तों ने धोखाधड़ी करके हिन्दू लड़कियों से ‘प्रेम सम्बन्ध’ बनाये। बाकी तीन में लड़कियों ने अपनी मर्जी से शादी करने की बात कही है।

उन्होंने बताया कि शुरू में जांच के दायरे में मात्र छह मामले थे लेकिन मीडिया में मामला आने के बाद कुछ और प्रकरण आये और कुल 14 मामले हो गये। चार मामलों के आरोपियों के कॉल विवरण की पड़ताल से पता चला कि उनमें आपस में लम्बे समय से बातचीत होती थी। चारों ने दूसरे धर्म की लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाया था, मगर वह काम अलग—अलग अंजाम दिया गया था। एसआईटी जांच में किसी साजिश या फंडिंग के सुबूत नहीं मिले हैं।

पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि 11 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। नाबालिग लड़कियों को गलत नाम बताकर प्रेमजाल में फंसाने वाले आरोपियों पर बलात्कार, अपहरण और शादी के लिये मजबूर करने के आरोप भी लगाये गये हैं। इस सवाल पर कि जिन मौलवियों ने वे शादियां करायीं, क्या उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी, अग्रवाल ने कहा, “अभी तक जितने बयान दर्ज किए गये हैं उनमें हर मामले में मौलवी अलग—अलग हैं। लड़की ने उन्हें जो नाम बताया, उसी हिसाब से उन्होंने निकाह कराया। इसलिये अभी तो लड़कों के पक्ष ही आरोपी हैं।”

गौरतलब है कि कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने कानपुर में कथित लव जिहाद की घटनाओं को लेकर पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल से शिकायत की थी। इनकी जांच के लिये अपर पुलिस अधीक्षक—दक्षिणी दीपक भूकर की अगुवाई में आठ सदस्यीय एसआईटी गठित की गयी थी।

पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य यह है किसी भी लड़की को साजिश के तहत न फंसाया जाए। अगर वह वास्तविक प्रेम है तो उसमें पुलिस और कानून की कोई दिक्कत नहीं है। अगर लड़के ने नाम गलत बताकर प्रेम जाल में फंसाया है या लड़की नाबालिग है, तो कानून अपना काम करेगा। अगर लड़की बालिग है और वह दूसरे धर्म में शादी करना चाहती है तो मां—बाप की आपत्ति के बावजूद पुलिस कानून के दायरे में उनका साथ देती है। (एजेंसी)