BSP Chief Mayawati attacks BJP, Congress, says both parties are not serious about empowering women
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    लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembley Election) के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान सभी पार्टियों ने अपने वोट बैंक को साधने के लिए जातियों और धर्मो का गठजोड़ करने का काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) प्रमुख मायावती (Mayavati)ने करीब 14 साल बाद फिर से ब्राह्मणों को अपनी ओर करने प्रयास शुरू कर दिया है। उन्होंने बीते रविवार को कहा कि, “उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण भाजपा (BJP) को वोट कर पछता रहे हैं, इसलिए आने वाले चुनाव में उन्हें बीएसपी के साथ आ जाना चाहिए।”

    उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का कुल वोट प्रतिशत 13 प्रतिशत है। जो राज्य के कई जिलों और सैकड़ों विधानसभा सीट पर जीता-हार को तय करती है। पिछले विधांनसभा में ब्राह्मणों ने एक मत से भाजपा को वोट दिया। उसके पहले ब्राह्मण बीएसपी और समाजवादी पार्टी को मतदान करते थे। 2007 में मायावती के सोशल इन्जियरिग जिसमें ब्राह्मण-मुस्लिम और जाटव दलित को एक कर बीएसपी सत्ता पर  काबिज हुए थे। आइए जानते हैं ब्राह्मण उत्तर प्रदेश में क्यों है जरूरी। 

    1. यूपी ने क्या है ब्राह्मण वोट का गणित 

    उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा सीटों में से करीब 80 से ज्यादा सीटों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कई विधानसभा सीटों पर तो 20% से ज्यादा वोटर्स ब्राह्मण हैं। ऐसे में हर पार्टी की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है। बलरामपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, वाराणसी, चंदौली, कानपुर, प्रयागराज में ब्राह्मणों वोट 15% से ज्यादा हैं। जो उम्मीदवारों के हार और जीत को तय करते हैं। 

    2. 2007 में मायावती को सत्ता पर पहुंचने में बड़ा हाथ 

    2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सत्ता में पहुंचने और मायावती को मुख्यमंत्री बनाने में ब्राह्मणों का बहुत बड़ा था। यह पहला मौका था जब अपने पारंपरिक पार्टी कांग्रेस और भाजपा को छोड़ ब्राह्मणों ने किसी अन्य दल को एक तरफ़ा अपना समर्थन दिया था। इस चुनाव में बीएसपी ने 86 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिसमें करीब 40 से ज्यादा उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 2022 इ चुनाव में मायावती फिर से अपना पुराना गठजोड़ अपनाते हुए करीब 100 ब्राह्मणों को टिकट देने का विचार कर रही हैं। 

    3. बीजेपी से ब्राह्मण नाराज 

    2017 के चुनाव में भाजपा को ब्राह्मणों ने एक तरफ़ा समर्थन दिया, जिसकेकारण विधानसभा में भाजपा की टिकट पर 44 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीत कर आए. लेकिन जब सरकार बनी तो केवल आठ विधायकों को ही मंत्री बनाया गया। इसी के साथ पिछले चार साल में जितने भी एनकाउंटर हुए उसमें अधिकतर ब्राह्मण गैंगस्टर ही मारे गए। जिसको विपक्ष ने बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी बताकर खूब प्रचार किया गया। 

    पिछले दिनों भाजपा ने ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल करना भी शामिल है। इसी के साथ हाल ही में हुए हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में अजय मिश्रा टोनी को मंत्री बनाकर नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है।

    कांग्रेस प्रमोद तिवारी के भरोसे 

    कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश में चुनाव दर चुनाव में जनाधार लगातार गिरता जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे केवल सात सीटों पर जीत मिली थी। कभी कांग्रेस का कोर वोटर रहा ब्राह्मण उसे पूरी तरह दूर हो चुका है। यूपी के अंदर कांग्रेस के पास अभी तक तीन ब्राह्मण नेता थे, जिसमें से जितिन प्रसाद उसे छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। 

    जिसके बाद कांग्रेस के पास प्रमोद तिवारी और मिर्जापुर के ललितेशपति त्रिपाठी दो ऐसे बड़े नेता हैं जिनका ब्राह्मण समाज में काफी सम्मान है। पार्टी ने भी इन्हीं दोनों नेताओं को ब्राह्मण वोटर्स को कांग्रेस से जोड़ने की जिम्मेदारी दी है। कांग्रेसी गांधी परिवार को ही प्रदेश में सबसे बड़े ब्राह्मण के रूप में स्थापित करने में जुटी है।