राजेश मिश्र
लखनऊ : तेजी से बढ़ते कोरोना (Corona) के मामलों और लाकडाउन (Lockdown) की आशंका के चलते उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों (migrant Workers)की तादाद बढ़ने लगी है। पंचायत चुनावों (Panchayat Elections) में मतदान (Voting) करने के लिए भी बड़ी तादाद में लोग मुंबई (Mumbai), दिल्ली और अन्य राज्यों से वापसी करने लगे हैं। बिना किसी जांच से लोगों के गांवों में पहुंचने से संक्रमण का खतरा बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया है। हालात ये हैं कि बीते एक हफ्ते से उत्तर प्रदेश से दिल्ली, मुंबई और पंजाब की ओर जाने वाली गाड़िया खाली तो उधर से आने वाली गाड़ियां खचाखच भरी हुई आ रही हैं।
मुंबई, गुजरात और बंगलुरु सहित कई शहरों से इन दिनों बड़ी तादाद में लोग उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनावों में मतदान करने के लिए भी वापस लौट रहे हैं। वहीं लंबे लाकडाउन के डर से भी बड़े शहरों से मजदूरों की वापसी हो रही है। मुंबई में बढ़ते कोरोना के संक्रमण के चलते अब वहां जाने वाली ट्रेनें खाली जा रही हैं, जबकि वहां से आने के लिए टिकटों की मारामारी है।
निजी वाहनों या टैक्सी से भी वापस लौट रहे हैं
गुरुवार और बुधवार को मुंबई को जाने वाली पुष्पक और कुशीनगर एक्सप्रेस में सीटें खाली रहीं, जबकि आम दिनों में इनमें लंबी वेटिंग ही रहती है। हालात यह है कि मुंबई से लौटने वाली ट्रेनों में अब वेटिंग टिकट भी मिलना बंद हो गया है। दिल्ली से आने वाली रोडवेज की बसों में भी सीट के लिए मारामारी चल रही है। इसके साथ ही बड़ी तादाद में लोग निजी वाहनों या टैक्सी से भी वापस लौट रहे हैं।
मोहल्ला और गांवों में निगरानी समितियों को एक्टिव किया गया
प्रदेश सरकार के कोविड कंट्रोल रुम के एक अधिकारी का कहना है कि पंचायत चुनावों के चलते बड़ी तादाद में लोग मुंबई, दिल्ली, गुजरात और बंगलुरु से वापसी कर रहे हैं जिसके चलते संक्रमण फैसले का खतरा बना हुआ है। कई रेलवे स्टेशनों पर तो जांच की जा रही है पर अन्य वाहनों से लौटने के लिए इस तरह की व्यवस्था नहीं है। हालांकि प्रदेश सरकार ने एक बार फिर से शहरों में मोहल्ला और गांवों में निगरानी समितियों को एक्टिव कर दिया है। लखनऊ में जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि अमौसी एयरपोर्ट, चारबाग रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर आने वाले यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था है। रेलवे और परिवहन निगम से इसके लिए निजी कर्मचारियों की भी मदद लेने को कहा गया है।
फिर से गांवों के बाहर क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने की जरुरत
हालांकि रेलवे का कहना है कि प्रवासी मजदूरों में वापसी के लिए कोई भगदड़ जैसे हालात नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक, फसल कटाई का सीजन आने और अन्य कारणों से जरुर श्रमिक वापसी कर रहे हैं पर पिछले साल जैसे हालात कतई नहीं हैं। वहीं बीते साल प्रवासी मजदूरों के लिए काम करने वाले आशीष अवस्थी का कहना है कि एक बार फिर से गांवों के बाहर क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने की जरुरत है। उनका कहना है कि पंचायत चुनावों और कोरोना फैसले की वजह से बड़ी तादाद में मजदूरों की वापसी होने लगी है पर अभी हालात काबू में है।