योगी सरकार की गिरती साख को संवारने के लिए नवनीत सहगल फिर मुख्यधारा में, सहगल पर अपने पिछले रिकार्ड को दोहराने की चुनौती

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– राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का एक अलग सियासी मिजाज़ रहा है. किसी भी सरकार के अंतिम बरस में सो रहा विपक्ष भी ऊर्जा के साथ सक्रिय हो जाता है और सियासत में धर्म या जातिवाद के दानव का क़द बढ़ने लगता है. साथ ही प्रशासन के नाकारेपन की नुमाइश शुरू होती है और कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगता है.

इन्हीं सब के बीच मीडिया को भी मौक़ा मिलता है और उसकी लगाम सरकार के हाथों से छूट जाती है. कुछ ऐसा ही रहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस के मामले में जिसके बाद परेशान मुख्यमंत्री योगी ने गुरुवार देर रात अपने मातहत आने वाले सूचना विभाग की जिम्मेदारी टीम इलेवन के अहम सदस्य अपर मुख्य सचिव गृह और सूचना अवनीश अवस्थी से लेकर कोरोना महामारी के बीच अपने विभाग का बेहतर प्रदर्शन दिखाने वाले खादी एवं ग्रामोद्योग और एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल को सौंप दी.

हाथरस मुद्दे पर सरकार जनता के सामने अपनी बात रखने में विफल हुई जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवनीश अवस्थी से सूचना विभाग का चार्ज ले लिया. सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव की ताजा जिम्मेदारी संभालने वाले नवनीत सहगल की पहचान उन अधिकारियों में है जो किसी भी विभाग में अपने नये प्रयोग से एक नई पटकथा लिख देते हैं. ऐसे में पिछली सरकारों से लेकर वार्तमान की योगी सरकार तक सूचना जैसे अहम् महकमे की जिम्मेदारी संभालने वाले सहगल प्राइम पोस्टिंग पाने के लिए तिकड़म लगाने वाले अन्य अफसरों के लिए एक मिशाल हैं.  

1988 बैच के आईएएस अफसर नवनीत सहगल ने अवनीश अवस्थी की जगह ली
1988 बैच के आईएएस अफसर नवनीत सहगल ने 1987 बैच के आईएएस अवनीश अवस्थी की जगह ली है. अप्रैल 2017 में अवनीश अवस्थी ने नवनीत सहगल से इसी पद का चार्ज लिया था और आज वापस उसी की पुनरावृत्ति हुई है. आमतौर से सरकारों की इमेज ब्रैंडिंग का काम देखने वाले सूचना विभाग का दायित्व किसी योग्य और भरोसेमंद अधिकारी को ही दिया जाता रहा है. इसके पहले भी भाजपा सरकार में कल्याण सिंह ने इन्हें फैजाबाद का जिलाधिकारी बनाया था.

कल्याण सिंह के बाद रामप्रकाश गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने पर नवनीत सहगल को निदेशक “स्टेट अरबन डेवलेपमेंट अथॉरिटी” (सूडा) की कुर्सी मिली. वर्ष 2002 में अयोध्या में शिलादान कार्यक्रम को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए सहगल खास तौर पर फैजाबाद भेजे गए थे. वर्ष 2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद इन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के प्रमुख सचिव की कुर्सी मिली. नए प्रयोगों से सहगल ने यूपी में खादी को एक अगल पहचान दिलाई. खादी की कई नई पॉलिसी लागू की गई जिसमें पहली बार प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया गया.

यह बढ़े हुए प्रोडक्शन का ही नतीजा था कि सहगल ने मास्क बनाने के लिए छह लाख खादी के कपड़े का इंतजाम चुटकियों में कर दिया. कोरोना के बढ़ते संकट में सहगल ने मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म विभाग को भी अलग पहचान दिलाई है. उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य था जहां बंद पड़े उद्योगों में कार्य कर रहे मजदूरों को भी मजदूरी दिलाई गई. सहगल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ ( ओडीओपी) योजना को जिस तरह से पंख लगाए हैं उसकी तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं.

एमएसएमई में रोजगार देने में देश में यूपी का नाम सबसे आगे किया
वरिष्ठ आईएएस अफसर नवनीत सहगल वर्तमान की योगी सरकार में भले ही मुख्यधारा में ना रहे हो लेकिन पर्दे के पीछे से जो जिम्मेदारी इनको दी गई उसको इनके द्वारा बखूबी निभाया गया. योगी सरकार बनने के साथ ही उनके महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट इन्वेस्टर समिट  के सफल आयोजन में पर्दे के पीछे से इन्हीं का हाथ रहा था.

इसी तरह एमएसएमई और खादी ग्रामोद्योग जैसे महकमे में के मुखिया रहते हुए इन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक लकीर खींचा. सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गये वक्तब्य के अनुसार कोरोना के संकट काल में जहां बेरोजगारी सरकार और जनता के सामने एक बड़ी मुसीबत बन के खड़ी है वही उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने का सबसे ज्यादा सुअवसर एमएसएमई ने प्रदान किया है. और एमएसएमई में रोजगार देने में देश में प्रदेश का नाम सबसे आगे किया है.

कोविड-19 के खि‍लाफ मुख्यमंत्री योगी की जंग में भी मध्यम, लघु और माइक्रो उद्योगों ने यूपी को सहारा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन चौथी बार बढ़ाने की घोषणा के साथ “आत्मनिर्भर भारत अभि‍यान” के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थ‍िक पैकेज का ऐलान किया था. पीएम की इस घोषणा के साथ ही सीएम  योगी ने यूपी के 56,754 एमएसएमई उद्यमियों को 2002.49 करोड़ रुपए के ऑनलाइन ऋण वितरित किए.

इस प्रकार लॉकडाउन अवधि में उद्यमियों को इतनी बड़ी संख्या में ऋण वितरित करने वाला यूपी पहला राज्य बन गया. और उसी दिन मुख्यमंत्री ने लोगों को रोजगार दिलाने के लिए ऑनलाइन “स्वरोजगार संगम” कार्यक्रम का भी आयोजन किया. इसमें 56,754 एमएसएमई इकाईयों में करीब दो लाख से अधि‍क कामगारों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के लोकसभा में दिए गये जवाब में देशभर के सभी राज्यों में रोजगार सृजन के आंकड़े बताये गये. मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भी उत्तर प्रदेश में MSME ने उल्लेखनीय काम करते हुए इस कोरोना काल में भी सबसे ज्यादा रोजगार देने का रिकार्ड बनाया. जबकि देश की राजधानी दिल्ली सहित 5 अन्य राज्य फिसड्डी साबित हुए.

अप्रैल से अगस्त महीने के दौरान इस साल एमएसएमई क्षेत्र में सबसे ज्यादा 14,616 नौकरियाँ उत्तर प्रदेश में मिलीं. अगर पिछले साल की बात की जाय तो भी उत्तर प्रदेश में 48,960 नौकरियाँ दी गयीं जोकि दिल्ली सहित अन्य राज्यों से अधिक रही. उद्योग मंत्रालय के अनुसार प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम यानी पीएमईजीपी के तहत देश भर में इस कोरोना महामारी के दौरान कुल 1 लाख 10 हजार लोगों को रोजगार दिया गया है.

इस कार्यक्रम के जरिये देश भर में वित्त वर्ष 2017-2018 से लेकर अब तक साधे तीन साल में 15 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार सृजन का काम किया गया. वहीँ उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र में अप्रैल से अगस्त के बीच सर्वाधिक 14,616 नौकरियां दीं गयीं.            

खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग जैसे गुमनाम विभाग को किया सक्रिय
एमएसएमई के अलावा अभी तक गुमनामी में रहने वाला खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग भी कोरोना संक्रमण के समय पूरी तरह सक्रिय दिखा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अधिकारियों के साथ बैठक में सभी को बाहर निकलने पर मास्क लगाने का निर्देश दिया गया. अब एक साथ इतने सारे मास्क बाजार में कहां से आएंगे इसपर चर्चा चल रही थी तो बैठक में मौजूद खादी विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने छह लाख मीटर खादी का कपड़ा मास्क बनाने के लिए उपलब्ध करवाने की बात कही.

मुख्ममंत्री ने फौरन नवनीत सहगल और तत्कालीन प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनोज कुमार सिंह को एक बैठक करके मास्क बनाने की कार्ययोजना तैयार करने को कहा. पहली ही बैठक में देश में एक साथ 50 लाख से अधिक मास्क बनाने की महत्वाकांक्षी योजना हकीकत में उतर आई. कोरोना काल में डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों के लिए जरूरी “पीपीई किट” और वेंटीलेटर जैसे जरूरी उपकरणों के निर्माण की बनाई ठोस योजना

कोरोना संक्रमण के रोकथाम और इलाज में लगे डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों के लिए जरूरी “पीपीई किट” और वेंटीलेटर जैसे जरूरी उपकरणों के निर्माण की योजना बनाने के लिए सीएम योगी द्वारा कहे जाने के बाद एमएसएसई विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने अन्य अधि‍कारियों के साथ बैठक करके एक योजना का खाका खींच अगले ही दिन मुख्यमंत्री के सामने पेश किया.

मुख्यमंत्री की अनुमति मिलते ही यूपी को पीपीई किट के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की योजना को हकीकत में बदलने के प्रयास शुरू हो गए. नवनीत सहगल ने प्रदेश में काम कर रहे टेक्सटाइल से जुड़े उद्यमियों से संपर्क किया और उन्हें पीपीई किट निर्माण करने को प्रेरित किया. लॉकडाउन में इन फैक्ट्र‍ियों में काम करने वाले श्रमिकों को उनके गांव से लाने की व्यवस्था हुई. मेहनत रंग लाई और 5 अप्रैल को नोएडा, कानपुर और उन्नाव में आधा दर्जन टेक्सटाइल फैक्ट्र‍ियों ने पीपीइ किट का उत्पादन शुरू कर दिया.

जिसके परिणामस्वरुप आज यूपी में कुल 53 फैक्ट्र‍ियों ने 50 हजार पीपीई किट का निर्माण रोज बनाने की क्षमता हासिल कर ली है. इसके अलावा केंद्र सरकार की संस्था “एचएलएल लाइफकेयर” भी यूपी की फैक्ट्र‍ियों से बड़ी संख्या में पीपीई खरीदकर अस्पतालों में सप्लाई कर रही है.  

अखिलेश सरकार में धर्मार्थ कार्य जैसे महत्वहीन विभाग का मुखिया रहने के दौरान सहगल ने श्रवण यात्रा शुरू कर विभाग को प्रदेश में दिलाई एक अलग पहचान  

अखिलेश सरकार में धर्मार्थ कार्य जैसे महत्वहीन विभाग का प्रमुख सचिव बनने के बाद नवनीत सहगल ने श्रवण यात्रा शुरू करके धर्मार्थ कार्य विभाग को प्रदेश में एक अलग पहचान दिलाई. इसी दौरान सहगल ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने की योजना का खाका खींचा. इन्होंने ही मंदिर के आसपास के भवनों को अधिग्रहीत करने की कार्ययोजना भी बनाई.

वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सहगल को उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) का सीईओ बनाकर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूरा करने का जिम्मा सौंपा. सहगल को जिस वक्त यह जिम्मेदारी सौंपी उस वक्त एक इंच जमीन भी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के लिए नहीं खरीदी गई थी. टेंडर प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे में फंसी थी.

सहगल ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में से मुकदमे वापस करवाए. छह महीने के भीतर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की सारी साढ़े सात हजार एकड़ जमीन खरीदी गई. दो वर्ष के रिकार्ड समय में सहगल ने 302 किलोमीटर लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बनाकर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया. उनके इसी काम के बल पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रमुख सचिव सूचना की जिम्मेदारी भी दे दी.

परिणाम देने की अभूतपूर्व क्षमता रखने वाले इस अफसर को मिली सरकार की इमेज ब्रांडिंग की जिम्मेदारी, पर चुनौतियां कम नहीं  

परिणाम देने की अभूतपूर्व क्षमता रखने वाले इस अफसर को एकबार फिर से भाजपा की योगी सरकार में सरकार की ब्रांडिंग करने वाले महकमे का मुखिया बनाए जाने का मीडिया जगत के साथ ही अफसरशाही में काफी उत्साह देखा जा रहा है. हालांकि अंतिम समय में मिली इस जिम्मेदारी को निभाना आसान भी नहीं होगा और चुनौतियां भी कम नहीं होंगी.

फिलहाल सहगल की राह में अफसरशाही की आपसी खींचतान होगी तो प्रदेश के जिलों में तैनात अनुभवहीन अफसरों की कार्यशैली, जोकि समय-समय पर मीडिया की सुर्खियाँ और विपक्ष का मुद्दा बनती रही है. ऐसे में इन चुनौतियों से निपटना आसान तो नहीं है परंतु ऐसे सक्षम अफसर के लिए असंभव भी नहीं. अब ऐसी बिगड़ी परिस्थिति से सूचना विभाग के नवनियुक्त अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल कैसे निपटते हैं यह तो वक्त बताएगा.