Paddy is sold out in UP, farmers forced by middlemen

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-राजेश मिश्र

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में तमाम दावों के बाद भी धान किसानों की मुसीबतें खत्म नहीं हो रही हैं. सरकारी खरीद के बड़े दावों से इतर किसानों को अपना धान औने पोने भाव में बेंचने के मजबूर होना पड़ रहा है. धान की कीमत खुले बाजार में औंधे मुंह गिर गयी हैं और किसानों की मजबूरी का फायदा बिचौलिये उठा रहें हैं.

प्रदेश के ज्यादातर धान उत्पादक जिलों में किसानों का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) से काफी कम कीमत पर खरीदा जा रहा है. खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, लंबी लाइन और तमाम दिक्कतों के चलते किसानों का धान कम कीमत पर आढ़तिए और राइस मिलें खरीद रही हैं. जहां सरकारी खरीद केंद्रों पर धान का मूल्य 1868 रुपये है वहीं खुले बाजार में इसकी कीमत 900-1200 रुपये कुंतल ही मिल पा रही है. खरीद केंद्रों का रुख करने वाले किसानों का कहना है कि कहीं बोरों तो कहीं सर्वर में खराबी के चलते धान की खरीद नहीं हो पा रही है.

उधर धान खरीद में हो रही अनियमितता व किसानों की शिकायतों पर पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ने नोडल अधिकारियों (Nodal officers) की तैनाती कर दी है. ये नोडल अफसर हर हफ्ते आवंटित जिलों में धान क्रय केन्द्रों का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे. इस संबंध में प्रमुख सचिव खाद्य वीना कुमारी ने आदेश जारी कर दिया है. गौरतलब है कि इस साल प्रदेश सरकार ने धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य पिछले साल के 50 लाख टन से बढ़ाकर 55 लाख टन करते हुए 1868 रुपये कुंतल का मूल्य तय किया है.

किसान नेता ललित सिंह (Farmer leader Lalit Singh) बताते हैं कि बीते साल हरियाणा के आढ़तियों ने उत्तर प्रदेश में आकर एमएसपी से ज्यादा कीमत दी थी पर इस बार वो नजर नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि खरीद केंद्रों पर बेंचने में दुश्वारियां हैं तो खुले बाजार में कीमत नहीं मिल रही है. सिंह का कहना है कि रद्दी कागज से भी कम कीमत पर किसानों का धान बिक रहा है. इस बार सरकारी खरीद केंद्र खुलने से काफी पहले बिचौलियों का तंत्र सक्रिय हो गया था और अब तक काफी तादाद में निजी क्षेत्र में धान की खरीद हो चुकी है.

इस बार कोविद संक्रमण (Covid infection) के चलते सरकारी खरीद केंद्रों पर धान बेंचने के लिए किसानों को पहले आनलाइन पंजीकरण कराना पड़ता है. विपक्ष का आरोप है कि छोटी जोत के किसानों के लिए यह खासा मुश्किल काम है. आनलाइन पंजीकरण के लिए एजेंटों के पास आते ही बिचौलिए सक्रिय हो जाते हैं और धान एमएसपी से कम कीमत पर बिक जाता है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में धान का कटोरा कहे जाने वाले बाराबंकी जिले में किसानों का धान खुले बाजार में 1200 रुपये में खरीदा जा रहा है तो श्रावस्ती जिले में किसानों को धान की कीमत 900 रुपये कुंतल ही मिल पा रही है. तराई के लखीमपुर, बरेली, पीलीभीत में कई जगहों पर धान की सरकारी खरीद में गड़बड़ी को लेकर किसानों हंगामा भी किया है.

सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश में धान की खरीद रिकार्ड बना रही है. इस बार एमएसपी में उचित कीमत मिलने के कारण किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर ही अपना धान बेच रहे हैं और हरियाणा की मंडियों में जाने से किसान बच रहे हैं. पश्चिम के कई जिलों में इस कारण 25 दिन में ही लक्ष्य के दोगुने से अधिक की सरकारी धान खरीद हो चुकी है.

उत्तर प्रदेश में धान किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों पर माल बेंचने पर हो रही परेशानी और औने पौने दाम में आढ़तियों की खरीद पर योगी सरकार ने कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर कारवाई की है. अब तक बरेली मंडल के पांच केद्र प्रभारियों को निलंबित किया जा चुका है. इसी तरह चार केंद्र प्रभारियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि, 21 के खिलाफ चेतावनी और 178 के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. प्रदेश सरकार ने  अब तक 208 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है.