आध्यात्म नगरी अयोध्या में योगी के इक्ष्वाकु नगरी की शुरुआत के बाद रामदेव खोलेंगे गुरुकुल

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लखनऊ: अयोध्या को योगी सरकार द्वारा एक वैदिक शहर के तौर पर विकसित करने के प्रयास को योगगुरु बाबा रामदेव के अयोध्या में गुरुकुल खोले जाने की घोषणा से काफी बल मिलेगा. बुधवार को राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने अयोध्या पहुंचे योगगुरू बाबा रामदेव ने घोषणा किया कि वो अयोध्या में अपने योग संस्थान पतंजलि योगपीठ के तहत एक भव्य गुरुकुल की स्थापना करेंगे. उन्होंने कहा कि आज उन्होंने इसे लेकर संकल्प लिया है. रामदेव ने कहा, ‘भारत का सबसे बड़ा सौभाग्य है कि हम देश में राम राज्य स्थापित करने के लिए बन रहे इस मंदिर के कार्यक्रम के साक्षी बन रहे हैं. पतंजलि योगपीठ यहां पर एक भव्य गुरुकुल बनाएगा. दुनियाभर से लोग यहां पर वेद और आयुर्वेद का अध्ययन करने आ सकेंगे.

रामदेव मंगलवार को ही अयोध्या पहुंच गए थे. राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बुलाए जाने पर उन्होंने कहा था कि वो खुद को सौभाग्यशाली समझते हैं, जो उन्हें इस कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है. उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं जो अयोध्या की भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए हो रहे भूमि पूजन में सम्मिलित होने का अवसर मिला है. हम 500 सालों से इसका इंतजार कर रहे थे. हजारों सालों की इच्छा पूरी हुई है. इसके लिए हमारे राष्ट्र के गौरव प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को इस अवसर पर श्रद्धेय कहने का मन हो रहा है. उन्होंने करोड़ों-करोड़ों लोगों को संपने को साकार करने की भूमिका निभाई है.  

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राममन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद, अवधपुरी में ‘इक्ष्वाकु नगरी’ के नाम से एक नई अयोध्या बसाने का काम जारी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राममन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद से ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवधपुरी में ‘इक्ष्वाकु नगरी’ के नाम से एक नई अयोध्या बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया. योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या में ‘इक्ष्वाकुपुरी’ कुछ ऐसे ही विकसित करने की तैयारी है, जैसा कि त्रेतायुग के बारे में पौराणिक कथाओं में पढ़ा-सुना जाता रहा है. अयोध्या को एक वैदिक शहर के तौर पर विकसित करने की कार्य योजना पर काम कर रही सरकार ने कम्बोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की तरह अयोध्या में सरयू किनारे इक्ष्वाकुपुरी बसाने का खाका तैयार किया जिसपर काम जारी है. इस नये आध्यात्मिक, सांस्कृतिक शहर का एक किनारा पौराणिक गुप्तार घाट होगा.

राम मंदिर निर्माण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही अयोध्या के विकास के लिए समानान्तर चार योजनाएं बनाई गयी हैं. सरकार ने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुवंश के प्रतापी राजाओं, मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु, हरिश्चंद्र, दिलीप, भगीरथ, अज, दशरथ के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व से जनमानस को परिचित कराने के लिए इच्छवाकुपुरी योजना पर काम शुरू कर दिया है. इक्ष्वाकुपुरी में वेद-उपनिषद, ब्राह्मण ग्रंथों के महत्वपूर्ण विषयों का ऑडियो-विजुअल चित्रण होगा. नई अयोध्या का केन्द्र बिंदु राम जन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर होगा. नई अयोध्या में रामायणकालीन सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक इतिहास को विभिन्न माध्यमों से नए संदर्भों में पेश किया जाएगा. इसके लिए शोध केन्द्र, ऑडिटोरियम, गुरुकुल आदि बनाए जाएंगे. 

अयोध्या में गुप्तारघाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुपुरी नाम से ग्रीन सिटी बसाई जानी है. सरकार का मानना है कि धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से अयोध्या में वह संभावना है कि हिंदुओं की आस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित हो सके. इक्ष्वाकुपुरी के रूप में सरयू के तट पर एक आध्यात्मिक-सांस्कृतिक नगरी की स्थापना विश्वभर के श्रद्धालु व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है. इक्ष्वाकुपुरी का विकास पूर्व एशियाई हिंदू वास्तुशैली और भारत की तीनों मंदिर वास्तुशैली (नागर, द्रविड़ और बेसर) के मिश्रण से किया जाएगा. भवन निर्माण की अन्य प्राचीन शैलियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.  

अयोध्या के गुप्तार घाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे के पूरे क्षेत्र को इक्ष्वाकुपुरी ग्रीन सिटी के तौर पर विकसित किया जाना है. इक्ष्वाकुपुरी में इक्ष्वाकु वंश के राजाओं, खासतौर पर राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं और राम की कीर्ति के प्रभाव से वैश्विक स्तर पर उनकी उपस्थिति से जुड़े ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्मों, डाक्यूमेंट्री, डिजिटल किताबों आदि का प्रदर्शन किया जाएगा. इक्ष्वाकुपुरी में आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता का संगम होगा. प्रभु श्रीराम में आस्था रखने वालों में भारत समेत 100 से ज्यादा देशों के निवासी है. इक्ष्वाकुपुरी में पूर्व एशियाई हिन्दू वास्तु शैली और भारत की मंदिर निर्माण की नागर, द्रविड़ और बेसर शैली का साझा प्रयोग होगा.

रामनगरी की 84 कोस की परिधि के अहम स्थल
रामनगरी की 84 कोस की परिधि में गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि व उनके गुरु नरहरि दास की कुटी पड़ती है. इसके साथ ही अष्टावक्र मुनि, जमदग्नि आश्रम, श्रृंगीऋषि आश्रम, आस्तीक ऋषि आश्रम, कपिलमुनि आश्रम, च्यवन मुनि आश्रम पड़ता है. मखभूमि, आश्रम, सूर्यकुंड, सीताकुंड, रामरेखा, जनमेजयकुंड आदि पौराणिक स्थल हैं. 84 कोसी मार्ग के आसपास ही ऋषि पराशर, गौतम, अगस्त, वामदेव आश्रम आदि अनेक ऐसे दिग्गज ऋषियों के आश्रम हैं, जिन्होंने संस्कार, संस्कृति और अध्यात्म का ज्ञान दिया. इसके साथ ही दशरथ समाधि स्थल, गौराघाट, दुग्धेश्वर कुंड, नंदीग्राम भरतकुंड, पिचाशमोचन कुंड, तपस्थली समेत जैसे श्रेष्ठ मुनियां की तपस्थलियां भी पड़ती हैं.

बताते चलें कि इक्ष्वाकु वंश प्राचीन भारत के शासकों का एक वंश है. इनकी उत्पत्ति सूर्यवंशियों में से हुई थी. ये प्राचीन कोशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी. रामायण और महाभारत में इन दोनों वंशों के अनेक प्रसिद्ध शासकों का उल्लेख है. अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर (झूंसी) के इतिहास का उद्गम ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से ही सम्बद्ध है. जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चंद्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र ऐल से जुड़ी है, जिसे शिव के श्राप ने इला बना दिया था, उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंश मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से प्रारम्भ हुआ.

– राजेश मिश्र