यूपी में बिजली उपभोक्ताओं को कोरोना के कारण राहत, नहीं बढ़ेगा इस साल बिल

उत्तर प्रदेश में अब बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने पर कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी होगी. स्मार्ट मीटर लगाने पर देय राशि 600 रुपये से घटाकर मात्र 50 रुपये कर दी गयी है.

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– राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के दौर में सरकार ने जनता को बिजली दरें न बढ़ाकर राहत दी है. अब इस साल लोगों को बढ़ी हुई बिजली दरों का करंट नहीं लगेगा. यूपी में अब घरों पर स्मार्ट बिजली मीटर लगवाने के लिए किसी तरह का अतिरिक्त पैसा भी नहीं देना पड़ेगा. बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे बकाया पैसे पर ब्याज भी मिलेगा. उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के बिजली दरों में कमी लाने के प्रस्ताव पर आयोग ने कहा कि वह इस पर फैसला आगे लेगा.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल)  के प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है. कारपोरेशन ने इस साल भी शहरी घरेलू से लेकर ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दाखिल किया था. आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं के लिए उपभोग की स्लैब भी बढ़ाने से इंकार कर दिया है. आयोग का कहना है कि वर्तमान टैरिफ आदेश ही लागू रहेगा. इस तरह आम जनता पर इस साल बिजली दरों का कोई बोझ नहीं पड़ेगा.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि आयोग के सामने हुयी सुनवाई में बिजली कंपनियों का दरों व प्राप्ति में गैप का 4500 करोड़ रुपये का दावा खारिज हो गया और उल्टे उपभोक्ताओं का लगभग 800 करोड़ रुपये बकाया निकला है. उन्होंने कहा कि, बिजली दरों में कमी के लिये टैरिफ आदेश का अध्ययन कर दीपावली बाद रिव्यू याचिका दाखिल की जाएगी.

वर्मा ने बताया कि आयोग ने कहा है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 13337 करोड़ रुपये पर जब तक इसका लाभ उपभोक्ताओं को न दिया जाये तब तक उस पर कैरिंग कास्ट यानी कि 13 से 14 फीसदी ब्याज भी जोड़ा जायेगा. इसका लाभ आगे उपभोक्ताओं को मिलेगा. आयोग ने बिजली कंपनियों की ओर से बताई गयी 2002-21 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता 70792  करोड़ रुपये को घटाकर केवल 65175 करोड़ रुपये का ही अनुमोदन किया है.

बिजली कंपनियों की ओर दाखिल प्रस्ताव में वितरण हानियों के 17.90 फीसदी को खारिज करते हुए केवल 11.54 फीसदी का अनुमोदन किया गया है. आयोग ने अपने आदेश में स्मार्ट मीटर पर आने वाले सभी खर्च को उपभोक्ताओं पर नही पास होगा का आदेश भी सुना दिया गया है. इससे पहले पावर ट्रांसमिशन कम्पनी ने जो ट्रांसमिशन टैरिफ 34 पैसा प्रति यूनिट प्रस्तावित किया था उसे आयोग ने केवल 23 पैसा प्रति यूनिट अनुमोदित किया था.

इस बीच उपभोक्ताओं की बिजली कंपनियों पर निकलने वाली बकाया राशि 13337 करोड़ रुपये के बारे में आयोग ने कैरिंग कास्ट लगाते हुए 13 से 14 फीसदी ब्याज लगाने को कहा है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बिजली दरें बढ़ाने की कवायद इस साल जून महीने से ही चल रही थी. यूपीपीसीएल ने इस बारे में नियामक आयोग प्रस्ताव दिया  था. कारपोरेशन ने बढ़ते घाटे और वार्षिक औसत रिटर्न (एआरआर) का तर्क देते हुए बिजली दरें बढ़ाने की वकालत की थी.

उपभोक्ता परिषद की विधिक दलीलों के सामने आयोग द्वारा प्रस्तावित आंकड़े 90 फीसदी तक अस्वीकार कर दिये गये. वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव को खारिज कर यह सिद्ध कर दिया कि उपभोक्ता परिषद की मांग सही थी.