लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर की खराबी के चलते बिजली गुल होने को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में स्मार्ट मीटर की देखरेख करने वाली कंपनी एल एंड टी को नोटिस देते हुए मुख्यमंत्री के आदेश पर एसटीएफ जांच के आदेश दिए गए हैं. उर्जा विभाग ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक को विभागीय जांच सौंपी है. इससे पहले उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी ईनर्जी इफीशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने कारवाई करते हुए अपने प्रदेश प्रमुख व देख रेख करने वाली कंपनी के परियोजना प्रबंधक को हटा दिया था. ईईएसएल ने भी अपने स्तर से मामले में कारवाई करने की बात कही है.
स्मार्ट मीटरों में आयी इस खराबी के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियंता संघ के साथ ही बिजली उपभोक्ता परिषद ने इसे लगाने वाली निजी कंपनियों का करार रद्द करने की मांग की. बिजली उपभोक्ता परिषद ने इस मामले में प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा से गुरुवार को मुलाकात कर स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी जीनस को ब्लैकलिस्ट करने व ईईएसएल के प्रबंध निदेशक को बर्खास्त करने की मांग उठाई. परिषद अध्यक्ष ने कहा कि अगर पूरे प्रदेश में 3 करोड़ उपभोक्ताओ के यहाँ स्मार्ट मीटर लग गये होते और ऐसी बंदी होती तो ग्रिड फैल होना तय था.
गौरतलब है कि बुधवार को जन्माष्टमी के मौके पर स्मार्ट मीटर वाले राजधानी लखनऊ के करीब तीन लाख घरों की बिजली अचानक बंद हो गयी थी. इन उपभोक्ताओं के बिजली के बिल जमा होने बाद भी घरों में अंधेरा हो गया था. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का कहना है कि स्मार्ट मीटर के साफ्टवेयर में आयी गड़बड़ी के चलते यह घटना हुयी थी. हालांकि बुधवार देर शाम यह गड़बड़ी दूर कर ली गयी थी पर इसी बीच राजधानी के कई कई बिजली घरों पर उपभोक्ताओं ने हंगामा कर दिया था.
प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभागीय जांच के साथ ही स्पेशल टास्क फोर्स को भी गड़बड़ी के जिम्मेदारों पता लगाने को कहा है. ईईएसएल के निदेशक आपरेशन वेंकटेश दिवेदी ने कहा कि तकनीकी खराबी के चलते स्मार्ट मीटर वाले घरों में बिजली कट गयी थी जिसे सही कर लिया गया. उन्होंने जानकारी दी कि मामले में पहली नजर में दोषी पाए गए लोगों को निलंबित भी कर दिया गया है, जिसमें ईईएसएल के उत्तर प्रदेश के प्रमुख भी हैं.
-राजेश मिश्र