The main accused of the Babri demolition is not even invited to worship the land, Karsevak in the noose

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लखनऊ: बाबरी ध्वंस के मुकदमे में मुख्य आरोपी के तौर पर पहला नाम त्तत्कालीन यूपी शिवसेना अध्यक्ष पवन पांडे का है. मंदिर आंदोलन के पुरोधा कहे जाने वाले कल्याण सिंह, अडवाणी, जोशी सहित अन्य का नाम साजिश रचने वालों में है. पवन पांडे यूपी में पहली और अब तक आखिरी बार शिवसेना के टिकट से जीतने वाले विधायक रहे हैं. आज भी पांडे के अंबेडकरनगर जिले के आवास पर बाबरी मस्जिद के अवशेष किसी प्रतीक चिन्ह की तरह रखे हुए हैं.

राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में उन्हें बुलाया तक नहीं गया है. बाबरी ध्वंस के अन्य प्रमुख आरोपियों संतोष दुबे और गांधी यादव को भी कार्यक्रम में पूंछा तक नहीं गया है. पांडे के साथ ये सब भी ढांचा गिराने के आरोपी हैं और मुकदमे का सामना कर रहे हैं. 

दरअसल 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के ये सभी प्रमुख चेहरे थे और कारसेवा के दौरान अयोध्या में मौजूद थे. अदालत में इन सभी ने ढांचा गिराने में अपनी भूमिका को नकारा नहीं बल्कि इस पर गर्व जताते हुए स्वीकार किया है.

बाबरी ध्वंस के आरोपी का कहना है कि ट्रस्ट में राजनीति हावी है. सदस्यों के चयन से लेकर मंदिर का माडल तैयार करने तक में और यहां तक कि पत्थरों के चयन में भी मनमानी की गयी है. वो कहते हैं पहले न्यौता दिए जाने वालों की सूची में उनका नाम था पर बाद में किसी दबाव में उसे उड़ा दिया गया. राम मंदिर के निर्माण के लिए डस्ट स्टोन के चयन पर भी आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि इसका क्षेत्रफल भी छोटा रखा गया है.

ट्रस्ट के न बुलाने के फैसले से आहत पवन पांडे ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सदस्यों के चयन से लेकर मंदिर के निर्माण की परिकल्पना तक में मनमानी की गयी है. राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता महंत रामचंद्र दास परमहंस को याद करते हुए वो कहते हैं कि उन्होंने मंदिर निर्माण के शिलादान कार्यक्रम चलाया था और आज भी शिलाएं अयोध्या के सरकारी मालखाने में जमा हैं. कम से कम ट्रस्ट को मंहत जी का सम्मान करते हुए उन शिलाओं का उपयोग करना चाहिए.

पवन बातचीत में कहते हैं हमने, संतोष दुबे और गांधी यादव ने अन्य आरोपियों की तरह अदालत में मुकरने का काम नहीं किया बल्कि अपने किए को स्वीकार किया है. हमें अपने किए पर गर्व है. उनका कहना है कि बाबरी ध्वंस के आरोप में 16-17 बार जेल जाना पड़ा था. हम लोगों में से छह ने अपनी स्वीकारोक्ति के साथ अदालत में बयान दिया और उनमें से एक अभी भी जेल में है.

पवन का कहना है कि अदालत में हमने कहा था कि बाबर आक्रांता था जिसने मंदिर पर कब्जा कर वहां मस्जिद बना दी थी. अब तो देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसे मान लिया है और मंदिर की जमीन राम लला को लौटा दी है. इसका मतलब साफ है कि हमारा कहना सही था और हमने तो अपनी जमीन से अवैध कब्जे को हटाया था. उनका कहना है कि आज भाजपा की नजर में हम कारसेवक लोग असमाजिक तत्व हो गए हैं जिन्हें मंदिर निर्माण से दूर रखा जा रहा है. जिन लोगों ने अदालत में कहा कि बाबरी की गुम्बद उनके सामने गिरायी गयी उन्हें ही मंदिर के भूमि पूजन से दूर रखा जा रहा है. हमने तो इतिहास के काले धब्बे को मिटाया था.

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के इस रवैये से आहत पवन पांडे ने 5 अगस्त को अंबेडकरनगर में अपने गांव में ही रहकर पूजा पाठ करने का फैसला किया है. ट्रस्ट की ओर से हो रही अनदेखी और अपने मन मुताबिक मंदिर न बनने को लेकर इन सभी ने अब हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया है.

क्योंकि बाबरी ढांचा गिरने को लेकर अभी अदालत में मुकदमा जारी है, हो सकता है इस कारण से आरोपी पवन पांडे को निमंत्रण नहीं दिया गया हो।

– राजेश मिश्र