electricity bill
Pic: File Photo/Social Media

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    राजेश मिश्र

    लखनऊ.  कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौर में लगातार दूसरे साल यूपी (UP) के बिजली उपभोक्ताओं (Electricity Consumers) को राहत दी गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh State Electricity Regulatory Commission) ने लगातार दूसरे साल बिजली दरें न बढ़ाने का फैसला किया है। इतना ही नहीं आयोग ने किसानों को भी राहत दी है। किसानों को अपने ट्यूबवेल पर बिजली का भुगतान पुरानी दरों के हिसाब से ही करना होगा। आयोग ने बिजली कंपनियों के 10 से 12 फीसदी तक रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि स्मार्ट मीटर पर आने वाले सभी खर्च को उपभोक्ताओं को नहीं देना होगा।

    आयोग ने बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन और रेगुलेटरी असेट को पूरी तरह से अस्वीकार करते हुये खारिज कर दिया। वहीं वर्ष 2021-22 और  ट्रू-अप 2019-20 के लिये बिजली कंपनियों द्वारा निकाली गयी भारी भरकम धनराशि को समाप्त कर दिया गया है। बिजली कंपनियों की ओर से 10 से 12 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगवाने के लिए  नियामक आयोग में  रेगुलेटरी असेट के रूप में 49827 करोड़ रुपये दाखिल कर दिया गया था। जिसे विद्युत नियामक आयोग द्वारा उचित मानते हुए बिजली कम्पनियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।

     बिजली दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है

    नए टैरिफ आदेश के मुताबिक ग्रामीण किसानों के ट्यूबवेल पर मीटर लग जाने की दशा में भी उनसे बिना मीटर 170 रूपये प्रति हॉर्स पावर की दर से ही वसूली की जायेगी। नियामक आयोग की ओर से जारी टैरिफ के बाद राज्य उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा के मुताबिक बिजली कंपनी पर उपभोक्ताओ का अब तक कुल निकले लगभग 20559 करोड़ रुपये के एवज में कमी का मुद्दा उठाया जाएगा।

    टैरिफ प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन

    गुरुवार को उत्तर प्रदेश की पांचो बिजली कंपनियां मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पक्षिमांचल एवं केस्को की ओर से वर्ष 2021-22 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्कता और टैरिफ प्रस्ताव सहित स्लैब परिवर्तन आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आ.पी. सिंह और सदस्यों केके शर्मा और वीके श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुये यह आदेश जारी कर दिया है कि इस वर्ष बिजली दरों में कोई भी बदलाव नही किया जायेगा वर्तमान में लागू टैरिफ ही आगे जारी रहेगा।

    उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 20596 करोड़ रुपया सरप्लस हो गया है

    टैरिफ आदेश में आयोग ने फैसला किया है कि ग्रामीण किसानों के निजी ट्यूबवेल पर मीटर भले लग जाये लेकिन अब उनसे वसूली एलएमवी 5 की फिक्स राशि 170 रुपये  प्रति हॉर्स पावर प्रति माह की दर पर ही होगी। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष वर्मा ने बताया कि आयोग ने प्रदेश के उपभोक्ताओ का ही बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 1059 करोड़ रुपया सरप्लस निकाल दिया है। वहीं प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर पहले भी कुल लगभग 19537  करोड़ रुपये उदय योजना का और ट्रू अप में निकला था अब सब मिलाकर देखा जाय तो प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 20596 करोड़ रुपया सरप्लस हो गया है। बहुत जल्द ही उपभोक्ता परिषद् पूरी टैरिफ का अध्यन कर उपभोक्ताओ की बिजली  दरों में कमी के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा। अवधेश वर्मा ने आज के आदेश को उपभोक्ताओं की बड़ी जीत बताया है।