corona
File Photo

  • कोरोना लूट की एसआईटी जांच, बड़ों पर आंच नहीं

Loading

लखनऊ.आपदा में अवसर के प्रधानमंत्री (Narendra Modi) के नारे का उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अफसरों ने जमकर उपयोग किया है. कोरोना (Corona) काल में रोकथाम के लिए उपकरणों की खरीद में जिलों जिलों में जमकर भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही हैं. खुद सत्तापक्ष के विधायकों व नेताओं की ओर से यह मामला उठाने के बाद योगी सरकार ने महज दो कनिष्ठ अफसरों को निलंबित कर एसआईटी की जांच के आदेश दिए हैं. 

सरकार की ओर से बीती 24 जुलाई को भेजे गए एक पत्र का हवाला देकर कहा जा रहा है कि उसने सभी नगर निकायों को 2800 रुपये में कोरोना किट खरीदने की सलाह दी थी. हालांकि उक्त पत्र में ग्राम पंचायतों के लिए इस तरह का कोई निर्देश नहीं है न हीं उन्हें इस आशय का कोई पत्र भेजा गया है. इतना ही नहीं जून में भी जब प्रदेश सरकार ने कोरोना किट के तहत पल्स आक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर आदि खरीद कर गांवों में काम करने वाली आशा बहुओं को देने का आदेश जारी किया तब भी इसकी कोई तय कीमत नहीं बतायी गयी. नतीजन हर जिले में अपनी सुविधानुसार मनमाने दामों पर खरीद कर ली गयी.

गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने इसी 19 जून को सभी अधिकारियों को एक पत्र भेज कर समस्त शासकीय खरीद जेम पोर्टल के जरिए करने के आदेश दिए थे. संबंधित सामाग्री के जेम पोर्टल पर उलब्ध न होने की दशा में ई टेंडर से खरीदने को कहा गया था. उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने 23 जून को एक पत्र भेज कर ग्राम पंचायत स्तर पर कोरोना किट (पल्स आक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर) खरीद कर आशा कार्यकर्ताओं को देने के निर्देश भेजे गए थे. इस आदेश में कहीं इस बात का जिक्र नहीं था कि खरीद किस दर पर की जाएगी. यह पत्र सभी जिलाधिकारियों व जिला पंचायती राज अधिकारियों को भेजा गया था. 

हालांकि इसके बाद बीती 24 जुलाई को पंचायती राज विभाग के प्रमुख मनोज कुमार सिंह ने नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर शहरी निकायों में पल्स आक्सीमटर व थर्मल स्कैनर की खरीद 2800 रुपये में करने को कहा और इस संदर्भ में अलीगढ़ में हुयी खरीद का उदाहरण देते हुए वहां के मुख्य विकास अधिकारी से संपर्क करने को कहा गया. लेकिन यह पत्र जिलों में सीधे नहीं भेजा गया. जब तक यह पत्र जिलों में पहुंचता कोरोना किट की आधे से ज्यादा खरीद हो चुकी थी और ग्राम पंचायतों के लिए तो इस तरह का कोई स्पष्ट निर्देश तक नही दिया गया. जेम पोर्टल या ई टेंडर के निर्देशों को दरकिनार कर गांवों में मनमर्जी की एजेंसी से खरीद कर ली गयी.

गाजीपुर और सुल्तानपुर से साक्ष्यों सहित मामला सामने आने के बाद वहां जिला पंचायत राज अधिकारी स्तर के दो अफसरों को निलंबित किया गया है. हालांकि पूरे प्रकरण में सवालों के घेरे में आए जिलाधिकारियों और शासन में बैठे पंचायती राज विभाग के आला अफसरों को छुआ तक नहीं गया है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री को ओर से घोषित एसआईटी जांच के आदेश का पत्र भी उसी पंचायती राज विभाग के मुखिया की ओर से जारी किया गया है जिस पर पूरे मामले में सबसे ज्यादा उंगली उठ रही है.

सत्ता पक्षा के ही विधायक के मुताबिक झाँसी में कोविड के नाम पर बड़ी धांधली हुई है और मास्क और सैनिटाइजर व ऑक्सीमीटर की खरीद  में जमकर लूट हुयी है. भारतीय जनता पार्टी के गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत ने आरोप लगाया है.  विधायक ने घोटाले की जांच कराने की मांग को लेकर अफसरों को और सरकार को चिट्ठी भी लिखी है. चिट्ठी में लिखा गया है कि जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने कोविड खरीद वितरण में धांधली की है. सुल्तानपुर के लंभुआ के भाजपा विधायक देवमणि ने कोविड सर्वे में घोटाले की बात उजागर की है. उन्होंने सुल्तानपुर जिलाधिकारी के खिलाफ शासन स्तर पर शिकायत की है कि उन्होंने कोविड सर्वे में किट खरीद को लेकर घोटाला किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायतों में शासनादेश है कि 2800 रुपये में किट खरीदी जाए, लेकिन इसके स्थान पर डीएम ने 9950 रुपये में यह किट खरीदने के लिए गांव की पंचायतों पर दबाव बनाया. 

फिलहाल इस पर मामले पर शासन स्तर से जांच का आदेश हो गया है जबकि सोमवार प्रदेश सरकार ने दो पंचायती राज अधिकारियों को खरीद में गड़बड़ी का दोषी पाते हुए निलंबित भी कर दिया है. कोरोना घोटाले को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. शुक्रवार को एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक उप्र में कोरोना किट खरीदी में घोटाला हुआ है. क्या पंचायत चुनावों के साल में जिले-जिले वसूली केंद्र बना दिए गए हैं? उन्होंने कहा कि पीपीई किट घोटाला,  69000 शिक्षक भर्ती घोटाला, बिजली घोटाला.. पहले घोटाला, फिर सख्ती का नाटक और फिर घोटाला दबाना का खेल हो रहा है.

राजेश मिश्र