– राजेश मिश्र
लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह ( Dhananjay Singh) की मुश्किलें सुरक्षा लेने के मामले में कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. इस मामले में एसटीएफ ने शुक्रवार को एक एफआईआर दर्ज किया है. FIR में जौनपुर निवासी बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ ही लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का भी नाम शामिल है.
जौनपुर निवासी बाहुबली पूर्व सांसद ने जान से मारने की धमकी और खतरे का गोपनीय पत्र सुरक्षा लेने के लिए सार्वजनिक किया था. फिलहाल धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है. निषाद पार्टी के साथ बात नहीं बनने के बाद धनंजय सिंह ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया. धनंजय सिंह के सामने समाजवादी पार्टी के दिवंगत विधायक पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव चुनावी मैदान में हैं.
पूर्वांचल यूपी के जौनपुर के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर एसटीएफ ने राजधानी लखनऊ के विभूति खंड थाने में ऑफिसियल सीक्रेट एक्त के तहत एफआईआर दर्ज कराई है. शासन के एक गोपनीय पत्र को सार्वजनिक करने के मामले में धनंजय सिंह पर केस किया गया है. शुक्रवार देर रात को विभूतिखंड थाने में यूपी एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर शिव नेत्र सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया है. धनंजय सिंह ने जान से मारने की धमकी व खतरे का एक पत्र सार्वजनिक किया था. धनंजय जौनपुर के मल्हनी विधानसभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.दो दिन पहले ही उन्होंने जौनपुर के मल्हनी विधानसभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में नामाकंन दाखिल किया है.
सुरक्षा तो मिली नहीं, उल्टा उनकी मुश्किलें और बढ़ गई :
पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर आरोप है कि उनके द्वारा सुरक्षा लेने के लिए गोपनीय पत्र को लीक किया जोकि कानून की दृष्टि में एक अपराध है. फिलहाल एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच कर रही है. पुलिस के मुताबिक बसपा से जौनपुर से सांसद रह चुके धनंजय सिंह गोमतीनगर में रहते हैं और उनके खिलाफ लखनऊ, जौनपुर और दिल्ली में भी कई मुकदमें दर्ज हैं.
धंनजय सिंह का लंबा है आपराधिक इतिहास :
धनंजय सिंह दो बार पूर्वांचल से विधायक और एक बार सासंद चुने जा चुके हैं. धनंजय पर कई गंभीर आपराधिक केस पहले से दर्ज हैं. जिससे हत्या, सबूत मिटाने और अपराध के लिए उकसाने जैसे अपराध शामिल हैं. एक याचिका के अनुसार करीब 24 अपराधिक मामलों में धनंजय शामिल रहे हैं.
एसआईटी की रिपोर्ट पर कोर्ट ने पूर्व सांसद के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने के दिए थे आदेश :
गौरतलब है कि एसआईटी की रिपोर्ट पर कोर्ट ने पूर्व सांसद के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने के आदेश दिए थे. और इस मामले में दिए गए निर्देशों के साथ एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी. धनंजय सिंह ने अपनी सुरक्षा को लेकर जुलाई 2018 में हाई कोर्ट में रिट दाखिल की थी. बाद में उनके अधिवक्ता ने कोर्ट में एसटीएफ का एक गोपनीय पत्र लगाया, जिसमें धनंजय सिंह को जान का खतरा बताया गया. एसटीएफ ने यह गोपनीय पत्र इंटेलिजेंस मुख्यालय भेजा था. हाई कोर्ट ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए पत्र लीक होने की जांच के आदेश दिए थे. डीजीपी हेडक्वॉर्टर से भी गोपनीय पत्र के लीक होने की जांच करवाई गई लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला. बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर जांच एसआईटी को सौंप दी गई थी.
पत्र लीक पर धनंजय सिंह बदलते रहे बयान :
पत्र लीक के मामले में एक साल पहले अपने बयान में धनंजय सिंह ने कहा था कि किसी अंजान आदमी ने यह पत्र उन्हें मुहैया करवाया था. उसके बाद उन्होंने अपना बयान बदला और कहा कि उनके मीडिया के साथी ने यह पत्र दिया था. जब एसआईटी ने उस मीडिया कर्मी से पूछताछ की, तो उन्होंने बयान दिया कि कोई यह पत्र उनके कार्यालय पर दे गया था. शासन के आदेश पर एसआईटी ने अपनी सीलबंद जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल कर दी गयी थी.