Case of fake encounter only on DIG involved in SIT, ongoing CBI investigation

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लखनऊ: कानपुर देहात के बिकरू गाँव में आठ पुलिस वालों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को उत्तर प्रदेश एटीएफ ने शुक्रवार को कानपुर-गुना हाईवे पर हुए एनकाउंटर में मार गिराया। योगी सरकार ने शनिवार को विकास दुबे के एनकाउंटर और उससे जुड़े सभी मामलों की जाँच को करने के लिए मुख्या सचिव भूसरेड्डी की अध्यक्षता में आईटी का गठन किया है. जो 31 जुलाई तक जाँच कर रिपोर्ट  सौपेगी. सरकार द्वारा बनाई इस जाँच समिति में बनते ही ही सवाल उठने लगे है. 

दरअसल जाँच समिति के सदस्य पुलिस अपमहानिरीक्षक जे. रवींद्र गौड़ पर 2007 में हुए एक फर्जी एनकाउंटर को लेकर मामला चल रहा है, जिसकी जाँच 2014 से सीबीआई कर रही है. 

बता दें कि 2007 में बरेली में पुलिस ने एक एनकाउंटर किया था, जिसमे दवा कारोबारी मुकुल गुप्ता और पंकज सिंह को बैंक लूटने के दौरान मार गिराया गया था. वहीं मुकुल गुप्ता के पिता ने पुलिस पर प्रमोशन के लिए फेक एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने इसकी निष्पक्ष जाँच के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट  में याचिका डाली थी, जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने 2010 में मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी थी. 2014 में सीबीआई ने मामले पर कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमे उन्होंने जे. रवींद्र गौड़ समेत नौ पुलिस वालों को आरोपी बनाया। जिसपर जाँच अभी भी शुर है.

 जे. रवींद्र गौड़ ने कराया एनकाउंटर
मुकुल गुप्ता के पिता ब्रिजेंद्र गुप्ता ने रवींद्र गौड़ पर आरोप लगते हुए कहा था कि पुलिस ने गौड़ के इशारे पर ही उनके बेटे का फर्जी एनकाउंटर कराया है. इसी मामले पर 2015 में सीबीआई ने विशेष अदालत में जे. रवींद्र गौड़ के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमे  सीबीआई ने गौड़ पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था.