बनारस में बुनकरों की मुर्रीबंद हड़ताल, राजनैतिक दलों का समर्थन

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– राजेश मिश्र

लखनऊ. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरों की ऐतिहासिक हड़ताल हो रही है. नयी बिजली दरों के विरोध में लाखों पावरलूम बुनकरों ने इस हड़ताल को मुर्रीबंद का नाम दिया है. बुनकरों का कहना है कि महामारी के दौर में उनके सामने जीने खाने का संकट है और ऐसे में योगी सरकार ने उनके बिजली बिल को कई गुना बढ़ा दिया है. बुनकर सरकार से फिर से पुराने फिक्स चार्ज वाले सिस्टम को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

मंगलवार को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और बुनकरी के लिये दुनिया भर में मशहूर वाराणसी में हजारों पावरलूमों पर धागा नहीं चढ़ा और बुनकरों ने कामकाज ठप रखा. बुनकरों का कहना है कि बिजली दरों का नया सिस्टम उन्हें धंधे से बाहर कर देगा और प्रदेश में गुजरात और महाराष्ट्र के कपड़ों का राज होगा. वाराणसी में बुनकरों के इलाके पीली कोठी में सरदार हाजी मकबूल हसन ने एलान किया कि पुरानी व्यवस्था की बहाली तक पावरलूम की मुर्री बंद हड़ताल रहेगी.

उत्तर प्रदेश बुनकर सभा के प्रदेश अध्यक्ष इफ्तेखार अहमद अंसारी का कहना है कि बुनकर बढ़े हुए बिजली का बिल चुका पाने में अक्षम हैं लिहाजा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं बचा है. प्रदेश में पहली बार बडे पैमाने हो रही बुनकरों की इस हड़ताल को समर्थन देने के लिए राजनैतिक दल भी सामने आए हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को वाराणसी पहुंच कर बुनकर बिरादरी के सरदारों के साथ मुलाकात की और अपना समर्थन जताया. 

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार पहले पावरलूम बुनकरों से बिजली के लिए फिक्स चार्ज लेती थी जिसे अब प्रति य़ूनिट उपभोग के हिसाब से लिया जाने लगा है. उत्तर प्रदेश में 2006 से प्रति पावरलूम 72 रुपये बिजली का चार्ज लिया जा रहा है जबकि नयी दरों के मुताबिक यह बिल अब 1400-1500 रुपये होगा. पावरलूम बुनकर बिजली के बिल की पुरानी व्यवस्था की बहाली को लेकर बीते कई महीनों से आंदोलनरत हैं.

वाराणसी में सिल्क निर्माताओं व कारोबारियों की प्रमुख संस्था काशी वस्त्र उद्योग संघ से जुड़े रजत मोहन पाठक बताते हैं बिजली का बिल बढ़ने के बाद सबसे बड़ी परेशानी उत्तर प्रदेश के बुनकरों के लिये बाजार में टिके रह पाने की है. उनका कहना है कि गुजरात के सूरत के मुकाबले अब उत्तर प्रदेश के पावरलूम पर बनने वाला कपड़ा मंहगा पड़ेगा लिहाजा यहीं के कारोबार इसे क्यों खरीदेंगे. पाठक के मुताबिक समस्या का असर कारोबारियों पर नहीं बल्कि बुनकरों पर ही पड़ेगा. भिवंडी या सूरत में पावरलूम का काम काफी हद तक संगठित है और वहां पहले ही से सस्ता माल बन जाता है. उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ी तादाद में हथकरघा बुनकरों ने कुछ पूंजी लगाकर एक, दो या चार लूम लगा लिए हैं जिनके लिए तीन चार गुना बिजली का बिल दे पाना धंधे से हाथ धोने का कारण बन जाएगा.

उत्तर प्रदेश में कपड़ा उद्योग में 80 फीसदी पावरलूम तो 20 फीसदी पर हथकरघे का कब्जा है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में इस समय 2.72 लाख पावरलूम हैं. वाराणसी, मऊ, मुबारकपुर, मोहम्मदाबाद, सीतापुर के खैराबाद, बाराबंकी, झांसी के मउरानीपुर और टांडा में हजारों की तादाद में पावरलूम हैं जिनसे 20 लाख बुनकर जुड़े हैं.