माह अगस्त 2021 की ग्रहस्थति

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माह अगस्त 2021 की ग्रहस्थति, विशेष योग, पर्व और मुहूर्त :-
ज्योतिषाचार्य पं0 नारायणशंकरनाथूराम व्यास,
कोतवाली बाजार जबलपुर ;1ध्4द्धमप्र0;1ध्2द्ध
मो0नं0 098266-21998

अगस्त माह का प्रारंभ श्रावण कृष्ण अष्टमीं रविवार संवत 2078 को होगा, रविवार दिनांक 08 अगस्त अमावस्या के दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की समाप्ति होगी। अमान्त परंपरा वाले क्षेत्रों जैसे गुजरात-महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में इसे आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष माना जावेगा। सोमवार 09 अगस्त से आरंभ होने वाला श्रावण मास का शुक्ल पक्ष होगा। पूर्णिमा सोमवार दिनांक 22 अगस्त को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की समाप्ति होगी। सोमवार 23 अगस्त से आरंभ होने वाला भाद्रपद मास का कृष्ण पक्ष होगा। अमावास्या मंगलवार दिनांक 07 सितम्बर को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की समाप्ति होगी। अमान्त परंपरा वाले क्षेत्रों जैसे गुजरात-महाराष्ट्र तथा दक्षिणी भारत में इसे श्रावण मास का कृष्ण पक्ष माना जावेगा। भाद्रपद कृष्ण नवमीं मंगलवार दिनांक 31 अगस्त को अगस्त मास की समाप्ति होगी।
।। अयन गोल और ऋतु ।।
इस मास सूर्य दक्षिणायन की यात्रा पर उत्तर गोल में रहेगा, ऋतु वर्षा चल रही है।
।। दिनमान ।।
माह के प्रारंभ में सूर्योदय 5 बजकर 28 मिनिट पर होगा, और सूर्यास्त 6 बजकर 32 मिनिट पर होगा। दिन की अवधि 13 घंटे 4 मिनिट होगी। ता. 31 अगस्त को सूर्योदय 5 बजकर 43 मिनिट पर होगां और सूर्यास्त 6 बजकर 15 मिनिट पर होगा। दिन की अवधि 12 घंटे 30 मिनिट और रात की अवधि 11 घंटे 30 मिनिट होगी, इस माह 1 से 31 तारीख तक दिन की अवधि 34 मिनिट कम होगी और रातें 34 मिनिट अधिक होंगी। अर्थात सूर्य दक्षिणायन होने के कारण दिन छोटे और रातें क्रमश: बडी होगी।
।। ग्रहस्थिति ।।
इस मास सूर्य सिंह राशि में, ता. 17 को 3।32 दिन सिंह राशि में, मंगल सिंह राशि में, बुध कर्क राशि में ता. 8 को 1।5 रात सिंह राशि में, ता. 26 को 10।40 दिन से कन्या राशि में, वक्री गुरू कुम्भ राशि में, शुक्र सिंह राशि में ता. 14 को 9।22 दिन से कन्या राशि में, वक्री शनि मकर राशि में, राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा।
।। सूर्य नक्षत्र भ्रमण ।।
सूर्य पुष्य नक्षत्र में, ता. 3 को 4।40 दिन से अश्लेषा नक्षत्र में संज्ञा- स्त्री-पुरूष, चन्द्र-सूर्य, वाहन-चातक ;3ध्4द्ध वर्षा श्रेष्ठ, ता. 17 को 3।32 दिन से मघा नक्षत्र में संज्ञा- स़्त्री-नपुंसक, चन्द्र-सूर्य, वाहन-खर ;3ध्4द्ध अनावृष्टि, ता. 31 को 12।16 दिन से पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में संज्ञा- स्त्री-पुरूष, सूर्य-सूर्य, वाहन-मण्डूक;3ध्4द्ध वर्षा श्रेष्ठ।
।। सूर्य कर्क संक्रांति ।।
ता. 17 को 3।32 दिन पर अर्की। ;1ध्4द्धमु.15;1ध्2द्ध महर्घता।
।। गुरू शुक्र तारा ।।
गुरू उदय पूर्व, शुक्र उदय पश्चिम में।

।। पुष्य नक्षत्र ।।
ता. 7 को 8।37 दिन से ता. 8 को 9।54 दिन तक।
।। पंचक ।।
ता. 22 को 8।40 दिन से ता. 26 को 11।48 रात तक पंचक रहेंगे।
।। जैन पर्व ।।
दिगम्बर जैन पर्व-
ता. 1, 8, 15, 22 एवं 29 को रवि व्रत
ता. 3 को रोहिणी व्रत,
ता. 15 को मोक्ष सप्तमीं,
ता. 23 को षोडषकारण व्रत प्रारंभ
ता. 31 को रोहिणी व्रत,
श्वेताम्बर जैन पर्व-
ता. 7 को पाक्षिक प्रतिक्रमण
ता. 8 को हरीयाली अमावस्या
ता. 13 को मासघर
ता. 21 को पाक्षिक प्रतिक्रमण,
ता. 27 को अक्षयनिधि तप प्रारंभ
ता. 28 को पक्षघर,

विविध मुहूर्त :-
जीर्ण गृह प्रवेश मुहूर्त :- ता. 4, 13, 14, 19,.
गृहारम्भ मुहूर्त :- ता. 9, 20.

।। श्रावण सोमवार ।।
मासों में श्रावण मास भगवान शंकर को विशेषप्रिय हैं, अत: श्रावण मास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है। श्रावण मास में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व है, अत: प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार तथा प्रदोश को शिव पूजा या पार्थिक शिव पूजा अवश्य करना चाहिये, इस मास में लघु रूद्र महारूद्र, पाठ कराने का विधान है। श्रावण मास में जितने भी सोमवार पड़ते हैं, उन सभी में भगवान शिवजी का व्रत किया जाता है, शिव मंदिर में जाकर अथवा अपने घर में पार्थिव मूर्ति बनाकर यथा विधि पूजन करने का विधान है। यह व्रत सभी मनाकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
।। मंगलागौरी व्रत ।।
श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आयें, उन दिनों यह व्रत करके मंगलागौरी का पूजन करना चाहिये, इसमें मंगलवार को गौरी का पूजन किया जाता है, इसलिये इसे मंगलागौरी व्रत कहते हैं, यह व्रत विवाह के बाद प्रत्येक स्त्री को 5 वर्षो तक करना चाहिये। यह श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को होता है, विवाह के पश्चात प्रथम श्रावण में पीहर में तथा अन्य 4 वर्षो में पतिग्रह में यह विधान किया जाता है, यह सुख सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत है।
।। रक्षाबंधन- ;1ध्4द्ध22 अगस्त को;1ध्2द्ध।।
श्रावण मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है, इसलिये इसका नाम रक्षाबंधन या राखी भी है, प्राचीनकाल में देव और असुरों में एक बार 12 वर्ष तक युद्ध होता रहा, तब इन्द्राणी ने असुरों पर विजय पाने के लिये इन्द्र के हाथों में ब्राम्हणों के द्वारा स्वस्तिवाचन कराकर रक्षा की पोटली ;1ध्4द्धरक्षाबंधन;1ध्2द्ध बांध दी थी, और उसी के बाद इन्द्र ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी, तभी से यह रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा, इस त्यौहार को बहनें अपने भाईयों को रक्षाबंधन बांधती हैं, और पुरोहित भी अपने यजमानों को रक्षाबंधन बांधते हैं।
।। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी- ;1ध्4द्ध30 अगस्त को;1ध्2द्ध ।।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अर्धरात्रि में मथुरा में हुआ था, इस वर्ष यह सुयोग 12 अगस्त को हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने के दूसरे दिन गोकुल में जन्म की खबर पहुंचने पर वहां श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया था, यहां इसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण का पूजन ’’ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय‘’ इस मंत्र से पूजन अर्चन करना चाहिये।

माह अगस्त के मुख्य व्रत-त्यौहार एवं जयंती दिवस
रवि ता. 01 बाल गंगाधर तिलक पुण्य तिथि
सोम ता. 02 भद्रा 11 बजकर 22 मिनिट रात से प्रारम्भ, महाकाल सवारी उज्जैन, गुरू हरकिशन जयंती,
मंगल ता. 03 भद्रा 12 बजकर 24 मिनिट दिन तक, मैथिलीशरण गुप्त जयंती
बुध ता. 04 सर्वार्थसिद्धि योग सूर्योदय से 4 बजकर 40 मिनिट रातअंत तक, कामिका एकादशी व्रत,
गुरू ता. 05 प्रदोष व्रत
शुक्र ता. 06 भद्रा 5 बजकर 29 मिनिट शाम से प्रारम्भ, सर्वार्थसिद्धि योग 6 बजकर 50 मिनिट प्रात: से रातअंत तक, शिव चतुर्दशी व्रत,
शनि ता. 07 भद्रा 5 बजकर 57 मिनिट प्रात: तक,
रवि ता. 08 सर्वार्थसिद्धि योग सूर्योदय से 9 बजकर 54 मिनिट दिन तक, हरियाली अमावस्या, आखंडानंद जयंती,
सोम ता. 09 महाकाल सवारी उज्जैन, अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन दिवस, युवक दिवस, विश्व आदिवासी दिवस,
मंगल ता. 10 चन्द्रदर्शन, सिंघारा दोज, धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज जयंती,
बुध ता. 11 भद्रा 4 बजकर 26 मिनिट रातअंत से प्रारम्भ, मधुश्रुवा तीज, हरियाली तीज, स्वर्ण गौरी व्रत, खुदीराम बोस शहीद दिवस,
गुरू ता. 12 भद्रा 3 बजकर 42 मिनिट दिन तक, दूर्वागणपति व्रत, विनायकी चतुर्थी व्रत,
शुक्र ता. 13 नाग पंचमीं, वीर दुर्गादास राठौर जयंती, चैरसिया जयंती, अमरनाथ यात्रा प्रारम्भ
शनि ता. 14 सर्वार्थसिद्धि योग 8 बजकर 40 मिनिट दिन से रातअंत तक,
रवि ता. 15 भद्रा 9 बजकर 34 मिनिट दिन से 8 बजकर 21 मिनिट रात तक, त्रिपुष्कर योग 6 बजकर 33 मिनिट प्रात: से 9 बजकर 34 मिनिट दिन तक, गोस्वामी तुलासीदास जयंती, स्वतंत्रता दिवस, योगी अरविन्द जयंती,
सोम ता. 16 सर्वार्थसिद्धि योग सूर्योदय से 3 बजकर 14 मिनिट रात तक, महाकाल सवारी उज्जैन, रानी अवंती बाई लोधी जयंती,
मंगल ता. 17 मदनलाल धींगरा शहीद दिवस,
बुध ता. 18 भद्रा 1 बजकर 3 मिनिट दिन से 11 बजकर 53 मिनिट रात तक, पुत्रदा पवित्रा एकादशी व्रत,
गुरू ता. 19 विश्व छायांकन दिवस
शुक्र ता. 20 सर्वार्थसिद्धि योग 9 बजकर 36 मिनिट रात से प्रारम्भ, प्रदोष व्रत, राजीव गांधी जयंती,
शनि ता. 21 भद्रा 6 बजकर 17 मिनिट शाम से 5 बजकर 30 मिनिट रातअंत तक, सर्वार्थसिद्धि योग 8 बजकर 51 मिनिट रात तक, पूर्णिमा व्रत,
रवि ता. 22 श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, नारियल पूनम, संस्कृत दिवस, लवकुश जयंती,
सोम ता. 23 महाकाल सवारी उज्जैन,
मंगल ता. 24 भद्रा 4 बजकर 20 मिनिट रात से प्रारम्भ, सर्वार्थसिद्धि योग 9 बजकर 8 मिनिट रात से रातअंत तक, त्रिपुष्कर योग सूर्योदय से 4 बजकर 11 मिनिट दिन तक
बुध ता. 25 भद्रा 4 बजकर 31 मिनिट दिन तक, सतवा तीज, बहुला गणेश चतुर्थी व्रत,
गुरू ता. 26 सर्वार्थसिद्धि योग सूर्योदय से प्रारम्भ, संत मदर टेरेसा जयंती
शुक्र ता. 27 सर्वार्थसिद्धि योग 1 बजकर 49 मिनिट रात तक,
शनि ता. 28 भद्रा 8 बजकर 18 मिनिट रात से प्रारम्भ, हलषष्ठी, धरणीधर जयंती
रवि ता. 29 भद्रा 9 बजकर 16 मिनिट दिन तक
सोम ता. 30 सर्वार्थसिद्धि योग 6 बजकर 43 मिनिट प्रात: से रातअंत तक महाकाल सवारी उज्जैन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमीं व्रत, संत ज्ञानेश्वर जयंती, महर्षि नवल जयंती,
मंगल ता. 31 गोगा नवमीं,
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