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संकष्टी चतुर्थी बुधवार, 12 फरवरी 2020 को यानी आज के दिन है। भगवान गणेश को मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता माना जाता है। बुधवार के दिन चतुर्थी होने से सोने पर सुहागा होने जैसा है। यदि आप जीवन में

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संकष्टी चतुर्थी  बुधवार, 12 फरवरी 2020 को यानी आज के दिन है। भगवान गणेश को मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता माना जाता है। बुधवार के दिन चतुर्थी होने से सोने पर सुहागा होने जैसा है। यदि आप जीवन में कष्‍टों का सामना कर रहें है और आपका कोई काम नहीं बन रहा है और आप जल्द इससे छुटकारा पाना चाहते है तो इस दिन आप श्री गणेश का व्रत-पूजन करके आप जीवन की हर तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

12 फरवरी को फाल्गुन मास की तृतीया-चतुर्थी तिथि है। फाल्गुन मास में चतुर्थी व्रत कर दान-दक्षिणा देने से श्री गणेश समस्त कामनाओं की पूर्ति कर जन्म-मृत्यु के कष्टों का नाश करके अपने दिव्य लोक में स्थान दे देते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चंद्रोदय होने तक उपवास रखने का नियम है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है। 

मनोकामना होगी पूरी, स्वास्थ्य होगा बेहतर 

हर मास में दो चतुर्थी तिथि आती है। इसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखकर श्रीगणेश पूजा करने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी को विधि – विधान से श्रीगणेश की पूजा करने से भगवान गजानन की विशेष कृपा प्राप्त होती है और इसके साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का भी अंत होता है।

संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करे श्रीगणेश पूजा

संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं और नित्यकर्म से निवृत्त होकर हल्के पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूजास्थल पर आसन गृहण करें। श्रीगणेश की प्रतिमा को एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। श्रीगणेश की चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी मेंहदी, अक्षत, वस्त्र, जनेऊ, फूल आदि से पूजा करे। दुर्वा, मोदक, लड्डू, फल, पंचमेवा और पंचामृत समर्पित करें। दीपक जलाकर धूपबत्ती जलाएं और आरती करें। पूजा के समय श्रीगणेश के मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। साथ ही श्रीगणेश के शास्त्रोक्त मंत्रो का जप करें।