जानें इतिहास का वो दिन जब 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय आर्मी के सामने टेके थे घुटने

16 दिसंबर के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग को याद करते हुए और शहीदों के सम्मान में विजय दिवस मनाया जाता है।

  • 49 साल पहले भारतीय जवानों ने 93 हजार पाक सैनिकों से कराया था आत्मसमर्पण
  • विजय दिवस पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि

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Vijay Diwas 2020: 16 दिसंबर 1971 इस तारीख को भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। इस जंग में भारत के करीब 3,900 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि 9,851 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे। 16 दिसंबर के दिन भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग को याद करते हुए शहीदों के सम्मान में विजय दिवस मनाया जाता है। 1971 को हुए इस युद्ध के 48 साल पूरे हो चुके हैं। इस समय पाकिस्तान ने हार मानते हुए भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। आज के दिन 49 साल पहले 93,000 पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हुआ था, पहले ‘बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान’ के तौर पर माना जाता था। आगे पढ़ें इस युद्ध से जुड़ी कुछ खास बातें: 

  • पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल ए के नियाजी ने भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार स्वीकार की थी। अपनी हार मानते हुए 93 हजार सैनिकों के साथ उन्होंने आत्मसमर्पण किया था।
  • युद्ध के दौरान 14 दिसंबर को भारतीय सेना को एक गुप्ता संदेश मिला। जिसके अनुसार, ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली थी, जिसमें कई बड़े अधिकारी शामिल होने वाले थे। इसके बाद भारतीय सेना ने 21 विमानों के साथ भवन पर बम गिराए और मुख्य हॉल की छत पूरी तरह से उड़ा दी। उस दौरान गवर्नर मलिक काफी डर गए थे और उन्होंने कांपते हाथों से अपना इस्तीफा लिखा था।
  • 16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब को आत्मसमर्पण का संदेश मिला, यह संदेश मानेक शॉ ने भेजा था। इसमें लिखा था आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। ढाका में नियाज़ी के पास 26400 सैनिक थे, जबकि भारत के पास सिर्फ 3000 सैनिक मौजूद थे और वह भी ढाका से 30 किलोमीटर दूर थे। 
  • जनरल अरोड़ा हेलिकॉप्टर से शाम के साढ़े चार बजे ढाका हवाई अड्डे पर उतरे। पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और नियाज़ी एक मेज पर एक दूसरे के सामने बैठे और आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए।
  • जनरल मानेक शॉ इसके बाद इंदिरा गांधी संसद भवन के अपने दफ़्तर पर पहुंचे और उन्हें  बांग्लादेश में मिली शानदार जीत की खबर दी। इसके बाद शोर-शराबे के बीच इंदिरा गांधी ने लोकसभा में युद्ध में भारत को विजय मिलने की घोषणा की। इंदिरा गांधी के ऐलान के बाद पूरा सदन खुशी से जश्‍न में डूब गया।