नई दिल्ली/छिंदवाड़ा. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा (Chhindwara) शहर में इन दिनों एक भिखारी को लेकर चर्चा गर्म है। दरअसल इस भिखारी ने खुद को मिले भीख की एक-एक रकम जोड़कर अपनी पत्नी को एक 90 हजार का दोपहिया वाहन तोहफे में दे दिया है। इतना ही नहीं बाइक खरीदने के बाद उक्त भिखारी संतोष कुमार साहू ने लोगों के बीच जाकर मिठाई भी बांटी, जिन लोगों ने उसकी मदद की थी।
जी हाँ, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा (Chhindwara) में भीख मांगने वाले एक विकलांग ने भीख से मिले पैसे जोड़कर एक मोपेड ली है, ताकि उनकी पत्नी को अब और ट्राइसाइकिल न धकेलनी पड़े। अब यह दोनों ही अपनी इसी नयी मोपेड से भीख मांगने जाते हैं, जिसकी इलाके में चर्चा जोरो पर है।
#WATCH A beggar, Santosh Kumar Sahu buys a moped motorcycle worth Rs 90,000 for his wife Munni in Chhindwara, MP
Earlier, we had a tricycle. After my wife complained of backache, I got this vehicle for Rs 90,000. We can now go to Seoni, Itarsi, Bhopal, Indore, he says. pic.twitter.com/a72vKheSAB
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) May 24, 2022
ख़बरों के मुताबिक, संतोष कुमार साहू और उनकी पत्नी मुन्नी छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा के रहने वाले हैं। संतोष दोनों पैरों से विकलांग हैं। पति-पत्नी छिंदवाड़ा बस स्टैंड पर रोजाना भीख मांगकर अपना गुजारा करते हैं। संतोष खुद दोनों पैरों से विकलांग हैं और उसकी पत्नी जैसे तैसे अपने आपको और साथ ही अपने पति को भी संभालती है।
लेकिन दोनों में बहुत प्यार है और ये दोनो साथ में ही अपने दोनों समय का खाना खाते हैं और उसी मिले पैसे में अपना गुजारा करते हैं। संतोष के पास एक ट्राइसाइकिल है। जिसकी सहायता से वे चला करते थे। लेकिन ट्राइसाइकिल से चलने पर उन्हें काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता था।
कई बार तो उबड़-खाबड़ रास्तों पर संतोष को ट्राई साइकिल की सहायता से भी ठीक से नहीं चला जाता था, तब उनकी पत्नी मुन्नी को ट्राइसाइकिल को धक्का लगाना पड़ता था। ऐसे में एक बार संतोष के अनुसार, मुन्नी की तबीयत खराब हो गई थी। उनके इलाज में 50 हजार रुपये लगे। इसके बाद ट्राइसाइकिल को धक्का लगाना मुन्नी के लिए काफी मुश्किल हो गया।
इसलिए संतोष ने तय किया कि, अब वो गाड़ी खरीदेंगे और उन्होंने इसके लिए पैसे जोड़ने भी शुरू कर दिए।इतना ही नहीं उन्हें लोगों से रोजाना करीब 300-400 रुपये मिल जाते थे। साथ ही उन्हें दोनों टाइम का खाना भी मिल जाता था। बस फिर क्या था, इन्हीं पैसों को वो जोड़-तोड़ करके बचाने लगे। उसमें करीब 4 वर्षों तक एक-एक रुपए जोड़ा।
धीरे-धीरे उन्होंने अपनी मेहनत और सुझबुझ से 90 हजार रुपये इकट्ठा कर लिया। अब उन्ही 90 हजार रूपए कैश देकर उन्होंने अपने लिए एक मोपेड खरीदी है, ताकि अब पत्नी को ट्राइसाइकिल पर और धक्का न लगाना पड़े। अब ये दोनों ही पति-पत्नी इसी गाड़ी से रोजाना भीख मांगने जाते हैं।