अनोखी बारात: बिना दुल्हन के सजता है यहां निर्जीव दूल्हा, जानें क्या है पूरा मामला

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    नई दिल्ली: भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है, यहां कई अलग समुदाय के लोग ये साथ रहते है और इनकी प्रथा, परंपराएं भी बहुत अलग होती है। यह रीति-रिवाक कई पीढ़ियों से चलते आ रहे है, जिसे आज भी बाहत माना जाता है। कुछ रीतिरिवाज तो ऐसे होते है जिसे जानकर हमारे ही होश उड़ जाते है, उनपर यकीन करना बेहद मुश्किल होता है। ऐसी ही कुछ अजीबोगरीब परंपरा प्रयागराज में है, जहां बारात का दूल्हा एक हथौड़ा बना। कुछ पल के लिए आप भी चौंक जायेंगे, लेकिन यह सच है। आइए जानते है आखिर क्या है पूरा माजरा… 

    ये है पूरा मामला

    दरअसल यह अजीबोगरीब मामला प्रयागराज से सामने आया है,जहां बारात में दूल्हा कोई पुरुष नहीं बल्कि एक हथोड़ा बनता है। शादी में बाराती नाच रहे हैं गा रहे हैं और जश्न का माहौल है, जी हां बता दें कि यहां दुल्हा एक लकड़ी का हथौड़ा है जो रेशम और ब्रोकेड के कपड़ों में सजा-धजा है।  बता दें यह प्रयाग नागरिक सेवा संस्थान (पीएनएसएस) द्वारा चौक क्षेत्र में हर साल आयोजित होने वाली पारंपरिक हथौड़ा बरात थी। हर साल की तरह इस साल भी किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी द्वारा हथौड़े की आरती करने के बाद केसर विद्या पीठ से शोभायात्रा निकाली गई। इसी दौरान होथोड़े को दूल्हा बनाया जाता है। 

    हर साल होता है ऐसा..

    दरअसल इस खास बारात के संयोजक संजय सिंह बताते हैं कि पूरे वर्ष के लिए, इस विशेष लकड़ी के हथौड़े को विशेष रूप से डिजाइन किए गए मंच पर पीएनएसएस के कार्यालय में आंशिक रूप से सजाया जाता है, जहां से इसे गंगा नदी में पवित्र डुबकी के लिए ले जाया जाता है और दूल्हे की तरह रेशमी कपड़े और मालाओं से सजाया जाता है। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। 

    यह है मान्यता 

    मान्यता है कि यह हथौड़े की बिन दुल्हन की बारात को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक होती है। इस  विशेष कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि को बुलाया जाता है। यही नहीं उसे हथौड़े से एक कद्दू को तोड़ने के लिए कहा जाता है। बताया गया कि कद्दू बुराई को दशार्ता है वहीं हथौड़े का प्रयोग बुराई के खात्मे के लिए किया जाता है। इस मान्यता के साथ यह प्रथा प्रयागराज में सालों से चली आ रही हैऔर हर साल इस तरह हथोड़े की बारात निकाली जाती है।