हिंदी मीडियम में पढ़ा, फिर कड़ी मेहनत कर हासिल की बड़ी कामयाबी, अब Google ने दी 3.30 करोड़ रुपये की जॉब

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    नई दिल्ली: आज के समय में हर मां-बाप अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम (English Medium School) के बड़े स्कूल में पढ़ना चाहते हैं। लेकिन, आज भी ऐसे कई बच्चे हैं, जो हिंदी मीडियम (Hindi Medium) से पढ़कर कई बड़े कारनामे कर रहे हैं। लोगों की ऐसी सोच है कि हिंदी मीडियम से पढ़कर बच्चा ज़्यादा ऊचांइयों को हासिल नहीं कर सकते है, लेकिन ये सरासर गलत हो। क्योंकि, आज हम जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, उसने अपनी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही की है। लेकिन, आज Google ने इस शख्स को 3।30 करोड़ रुपये का शानदार जॉब पैकेज ऑफर किया है।

    गूगल ने दिया 3.30 करोड़ का पैकेज 

    इस शख्स का नाम श्रीधर चंदन (Sridhar Chandan) है। जो राजस्थान के अजमेर का रहने वाला है। श्रीधर ने वो मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने की बहुत से लोग ख्वाहिश रखते हैं। श्रीधर को गूगल ने 3.30 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज ऑफर किया है। गूगल ने उन्हें सीनियर ग्रुप इंजीनियर के पद के लिए चुना है। फ़िलहाल श्रीधरन न्यूयार्क की कंपनी ब्लूमबर्ग में बतौर सीनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। 

    हिंदी मीडियम से पढ़ा शख्स 

    श्रीधर चंदन को बचपन से ही पढ़ने का काफी शौक था। वह अपनी पढ़ाई को लेकर काफी फोकस्ड थे। उनका पढ़ाई में इतना मन लगा रहता था कि वह परिवार में ना तो अपनी मां की सुनते थे और ना ही परिवार के सदस्यों की। क्योंकि, उनका मन सिर्फ पढ़ाई में ही लगा रहता है और वह अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई में ही लगाना चाहते थे। उनके पिता हरि चंदनानी बताते हैं कि, श्रीधर 31 दिसंबर 1985 को अजमेर के जवाहर लाल नेहरू सरकारी अस्पताल में पैदा हुए थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई है। इसके बाद उनका एडमिशन अजमेर के सेंट पॉल स्कूल में हुआ।

    पढ़ाई का था बेहद शौक

    पिता आगे बताते हैं, श्रीधर 8वीं कक्षा की मेरिट में आए थे। जिसके बाद आदर्श स्कूल से उन्होंने 12वीं किया और फिर उनका सिलेक्शन AIEEE में हो गया। पुणे से कंप्यूटर साइंस में बीई की डिग्री लेने के बाद उन्होंने सबसे पहले हैदराबाद में इंफोसिस कंपनी में काम किया। फिर साल 2012 में मास्टर डिग्री लेने के लिए वह अमेरिका चले गए। जहां, उन्होंने वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की और ब्लूमबर्ग में नौकरी करने लगे। 

    पिता की थी कोयले की टाल 

    पिता ने बताया कि, श्रीधर ने जॉब के साथ-साथ अपनी हायर स्टडी भी जारी रखी थी। फिर पिछले साल 2021 में उन्होंने छुटि्टयां लेकर पढ़ाई की, इसके बाद उनका सेलेक्शन गूगल में हो गया। श्रीधर का का परिवार बेहद ही साधारण है। उनके पिता का जीवन संघर्ष में ही बीता है। दस-बारह साल की उम्र में उनकी लकड़ी और कोयले की टाल थी। हालांकि, फिर उन्होंने इंजीनियरिंग करके गुजरात मोरवी में नौकरी हासिल की और फिर साल 1976 में श्रीधर के पिता को सिंचाई विभाग में इंजीनियर की नौकरी मिल गई।