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    नई दिल्ली : देश में एजुकेटेड (Education) लोगों की कमी नहीं है। अब तो लगभग हर घर से बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ रहे हैं और अच्छे जगह पर जॉब भी कर रहे है। हर घर में शिक्षा ने अपना स्थान बना लिया है, लेकिन शायद शिक्षा का असर अभी भी लोगों के विचारो तक नहीं पहुंच जाया पाया है। इसीलिए तो भारत में अभी भी कई ऐसे गांव और राज्य हैं। जहां पर दहेज प्रथा का अंत नहीं हो पाया है। लोग बच्चों को पढ़ाते-लिखाते है और अच्छी जॉब (Job) लगने पर मोटी रकम पर शादी के नाम पर लड़की के घर वालों को बेचते हैं। 

    दरअसल, आज हम बात कर रहे है एक ऐसे जगह कि जहां पर दूल्हे को सरेआम बाजार लगा कर बेचा जाता है। बता दें, बिहार के मधुबनी में 700 सालों से दूल्हे का बाजार सजता है। जो सौराठ सभा के नाम से जाना जाता है। बाजार सजने का मुख्य उद्देश्य सभी दूल्हे को इकट्ठा करना होता है। दूल्हों के इस बाजार में हर जाति और धर्म के दूल्हे (Groom Market)  आते हैं। जिन्हें खरीदने के लिए लड़की के घर वाले आते हैं और साथ में लड़की को भी ले आते हैं। जिसके बाद दूल्हे का चुनाव किया जाता है। चुनाव के दौरान लड़के का क्वालिफिकेशन, जन्म पत्री और घर-परिवार जैसी अन्य चीजें देखी जाती है। अगर लड़की को लड़का पसंद आया तो लड़की हां बोल देती है। इसके बाद लड़के के घर वाले अपने हिसाब से कीमत तय करते है। 

    हालांकि, इस बाजार की शुरुआत कर्नाटक वंश के राजा हरि सिंह ने की थी। इस बाजार को शुरू करने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य दहेज रहित शादी और अलग-अलग गोत्र में शादी करवाने का था। इस सभा में सात पीढ़ियों से रक्त संबंध और रक्त समूह पाए जाने पर शादी की इजाजत नहीं दी जाती थी। हैरानी की बात तो यह है कि अब यह बाजार दहेज रहित नहीं रहा। ‘अल जज़ीरा’ के रिपोर्ट्स के अनुसार, अब इस बाजार में जैसा दूल्हा वैसी ही बोली लगाई जाती है।