Pic Credit: Twitter
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    पाकिस्तान (Pakistani) का वो सीरियल किलर (Serial killer) जिसके बारें में सुनकर आज भी वहां के लोगों की आंखो में दहशत नजर आने लगता है। एक ऐसा किलर जिसे लोगों की हत्या करने में मजा आता था। इस अपराधी के नाम के किस्से आज भी लोगों के जुबान पर है। इस शातिर अपराधी ने एक दो नहीं बल्कि 100 मासूम बच्चों की हत्या (Javed Iqbal Murdered 100 Children) कर अपनी नापाक मंसूबे को पूरा किया था।

    जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जावेद इकबाल (Javed Iqbal) की। जिसके पागलपन का अंदाज़ा आप अपने में भी नहीं लगा सकते हैं। इस हैवान ने 100 बच्चों की हत्या (Murder) करने की कसम खाई थी, जिसके बाद अपनी कसम को पूरा करते हुए उसने मासूम बच्चों को मारकर सरेंडर (Surrender) भी कर दिया। जावेद इकबाल का नाम इतिहास के काले पन्नों पर लिखा गया है।  

    जावेद से जब पूछा गया कि उसने मासूमों की जान क्यों ली, तो उसने बताया कि एक झूठे आरोप में उसे जेल भेज दिया गया था, जिसके बाद उसकी माँ रोज़ उसे मिलने आती थी और रो-रोकर उसकी रिहाई के लिए गुजारिश करती थी। इसी इंतजार में उसकी माँ का इंतकाल हो गया, जिसके बाद उसने कसम खाई कि वह 100 बच्चों को मार उनकी मांओं को रोने पर मजबूर करेगा।   जावेद ने बताया कि वो बच्चों को पहले लाहौर के शादबाग स्थित अपने घर ले जाता था, फिर उनके साथ दुष्कर्म करता और बाद में लोहे की जंजीर से उनका गला घोटकर उन्हें मार देता। मारने के बाद जावेद लाश के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें तेजाब में गला देता था।   

    जब अपना जुर्म जावेद ने पुलिस के सामने कुबूल किया तब उसे अदालत ने आज ही के दिन 16 मार्च 2000 को सजा-ए-मौत सुनाई थी। अदालत ने उसे उसी तरह मरने का हुकुम दिया था, जैसे उसने सभी बच्चों को मारा था। यानी पहले बेरहमी से उसका गला 100 बार घोंटा जाए, उसकी लाश के 100 टुकड़े किए जाएं और उसे तेजाब में गलाया जाए, लेकिन अदालत के इस फैसले का दुनियाभर में विरोध शुरू हो गया, जिसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले को बदलते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई थी। पर अचानक 8 अक्टूबर 2001 की सुबह कोट लखपत जेल में जेल प्रशासन को छत की सरिया के सहारे लटकती हुईं दो लाशें मिलीं, जो जावेद इकबाल और उसके साथी की थीं। उनकी पूरी बॉडी नीली पड़ चुकी थी, जैसे मानों उन्हें जहर दिया हो, लेकिन जेल प्रशासन ने इसे आत्महत्या करार दिया था।