
नई दिल्ली: पशु प्रेम बहुत खास और अलग होता है। इंसान और पशु का रिश्ता निस्वार्थ होता है, इसी वजह से पशुप्रेमी भी वह हर संभव कोशिश करते है जिसकी वजह से वह अपने पशुओं को ढेर सारा प्यार कर सकें। अब तक आपने इंसानों की शव यात्रा निकलते हुए ही देखी होगी, लेकिन आज हम ऐसे खास रिश्ते और अंतिम यात्रा के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में जानकर आपके भी आंखों से भावुक हो कर आंसू निकल आएंगे।
शौक बना जीवन….
दरअसल हम जिस पशु प्रेम की बात कर रहे है वह बिहार के नालंदा की हैं। दरअसल इस पशुप्रेमी का नाम विशुनदेव प्रसाद है जो मुख्यालय बिहार शरीफ के पतुआना का निवासी है। आपको बता दें कि विशुनदेव को घोड़ा पालने व घुड़ सवारी करना बहुत पसंद है। इसलिए उन्होंने घोड़ा शौक से पालने के लिए खरीदा फिर इसे अपने पेशे से जोड़ लिया।
घोड़े की दिन रात सेवा
उसके बाद से वह दिन रात उसकी सेवा करते थे। उसे घर के सदस्य की तरह देखभाल करने लगे। जिसके बाद घोड़ा भी मालिक का मुरीद हो गया और उनके हर कामों में साथ दिया इसके साथ ही आज्ञा का पालन व संस्कार भी मानने लगा। इस तरह घोडा और विशुनदेव प्रसाद में एक अनोखा रिश्ता बन गया जिसकी चर्चा आज जोरों पर है।
विधि विधान से घोड़े का अंतिम संस्कार
मिली जानकारी के मुताबिक इस घोड़े को कई सालों पहले सोनपुर से खरीदकर लाए थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनका पालतू घोड़ा कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। जिसकी अचानक मौत हो गई। ऐसे में पशुपालक विशुनदेव प्रसाद ने घोड़े की मौत के बाद घर के सदस्य होने के नाते उसकी पूरे विधि विधान से गांव में शव यात्रा ढोल नगाड़े के साथ निकाली। अब इस अंतिम यात्रा की खूब चर्चा हो रही है। पशुपालक ने अपने पैतृक गांव घोड़े को दफनाया है। इस शव यात्रा में मालिक ही नहीं बल्कि गांव के लोग भी शामिल हुए।
घोड़े से किया था ‘ये’ वादा…
घोड़े के मालिक ने कहा कि घोड़ा बहुत आज्ञाकारी, संस्कारी था। इसने हमें हर जगह साथ दिया इसलिए मैंने वादा किया था कि अगर घोड़े की मौत हो जाएगी तो इसका शव यात्रा पूरे विधि विधान से करेंगे। इस शव यात्रा में पूरे गांव के लोग शामिल हुए। जिसे ढोल नगाड़े के साथ गांव में घुमाया गया। इस पशु प्रेम की घटना के बारे में जानकर हर कोई भावुक हो रहा है।