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नई दिल्ली: बच्चे (Baby) गोरे हो या फिर श्वेत वर्ण बच्चे तो भगवान का रूप होते है जो हर रंग रूप में बहुत प्यारे लगते है। लेकिन क्या आप सोच सकते है कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां गोरे बच्चे के जन्म लेना मानों पापा होता है। जी हां दुनिया में कई जाति और धर्म के लोग रहते हैं। भारत में भी कई जातियां और जनजातियां मौजूद हैं; लेकिन एक ऐसी जनजाति है, जो आज भी पाषाण युग की तरह जीती है। आइए जानते है इस जनजाति के बारे में… 

गोरा बच्चा होना है पाप 

आपको बता दें कि जारवा (jarawa) एक आदिवासी जनजाति है जो अभी भी भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में रहती है। हैरानी वाली बात तो यह है कि इस जनजाति के नागरिकों के बीच अगर कोई श्वेत बच्चा पैदा होता है तो उसे मार दिया जाता है। वर्तमान में हम देख सकते है कि विश्व की अधिकांश जनजातियों ने स्वयं को आधुनिक युग के अनुरूप ढाल लिया है; लेकिन कुछ जनजातियां ऐसी भी हैं जो आज भी पाषाण युग की तरह जीती हैं।

जारवा जनजाति का अजीब नियम 

इन्हीं में से एक है जारवा जनजाति। यह अब तक की सबसे प्राचीन जनजाति है। इस जनजाति के लोग पिछले पचपन हजार साल से इन द्वीपों पर रह रहे हैं। उन्हें अफ्रीकी मूल का माना जाता है; लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वे भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा बन गए हैं। यह जनजाति विलुप्त होने के कगार पर है। लेकिन उनकी कुछ ऐसी परंपराएं है जो बेहद चौंकाने वाली है। 

गोरा बच्चा पैदा होते ही मार डालते है 

क्योंकि वर्तमान में जारवा जनजाति के केवल 380 लोग ही बचे हैं। इस जनजाति के लोग आज भी शिकार करके अपना जीवनयापन करते हैं। वे धनुष और बाणों का उपयोग करके मछलियों या केकड़ों का शिकार करते हैं। ये समूह में सूअरों का शिकार करते हैं। जारवा जनजाति में कुछ और अजीब रिवाज देखे जाते हैं। उनमें से एक यह है कि यदि कोई स्त्री सुंदर, गोरे बच्चे को जन्म देती है, तो उस बच्चे को तुरंत मार दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जारवा जनजाति के लोग काले रंग के होते हैं। 

इसलिए गोरे बच्चे को मारते है 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि अफ्रीका के मूल निवासी होने के कारण इनका रंग काला है। फिर गोरे रंग के बच्चे को यह मानकर मार दिया जाता है कि वह किसी अन्य जनजाति या समुदाय का हो सकता है। इस जनजाति में जब कोई बच्चा पैदा होता है तो जनजाति की सभी महिलाएं उसे स्तनपान कराती हैं। यह समुदाय को एक साथ रहने में मदद करता है, वे कहते हैं।

गर्भवती महिला को पिलाते है जानवरों का खून 

दरअसल इस जारवा जनजाति में काली संतान होना जरूरी है। उसके लिए वे गर्भवती महिला को जानवरों का खून भी पिलाते हैं। उनका मानना है कि किसी जानवर का खून पीने से पैदा होने वाले बच्चे का रंग काला हो जाता है। हैरानी यह है कि अगर एक सफेद बच्चा पैदा होता है, तो उसका पिता उसे मार डालता है।

बेहद अजीब है परंपराएं 

इतना ही नहीं अगर कोई महिला विधवा भी हो जाती है तो उसके बच्चों को मार दिया जाता है। इस जनजाति के लोग आज भी दूसरे लोगों से घुलते-मिलते नहीं हैं। शायद इन अजीब प्रथाओं के कारण ही जारवा जनजाति विलुप्त होने के कगार पर है। पर्यटकों को जारवा जनजाति के लोगों से मिलने की भी मनाही है। उनकी फोटो लेने या वीडियो अपलोड करने पर भी रोक लगा दी गई है।