(इमेज- इंस्टाग्राम)
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    नई दिल्ली: हम सब ने बचपन में जलपरियों (Mermaid Stories) की कई कहानियां सुनी है। आधी इंसान और आधी मछली यानी जलपरी यह हम सब जानते है। अब तक हमने इस अनोखे जीव के बारे में कहानियां सुनी है। लेकिन असल में जलपरी होती है या नहीं यह अब तक कन्फर्म नहीं हो पाया है। आज हम आपको एक ऐसे ही जलपरी के बारे में बताने जा रहे है। जो असल जिंदगी में जलपरी है। आइए जानते है…. 

    लड़की बनी जलपरी 

    दरअसल हम जिसकी बात कर रहे है वह एक महिला है, जो बचपन से जलपरियों की कहानियां सुनती थी, इतना ही नहीं बल्कि उसे जलपरियों ने इतना आकर्षित किया कि अब वो प्रोफेशनल जलपरी (Professional Mermaid) बन गई है। प्रोफेशनल मरमेड फेलिसिया की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

     

    8 साल पहले शुरू किया काम 

    आपको बता दें कि फेलिसिया ने आठ साल पहले प्रोफेशनल मरमेड की जॉब ली थी। अपने काम में एक्सपर्ट बनने के लिए फेलिसिया ने स्कूबा डाइविंग का सर्टिफिकेट भी लिया। इसके बाद उसने अपनी पहली पूंछ खरीदी। अब वो इस पूंछ के साथ अमेरिका के कई हिस्सों में परफॉर्म करती है। अपनी परफेक्ट पूंछ के लिए फेलिसिया ने काफी स्ट्रगल किया है।

    अपने काम में बनी एक्सपर्ट 

    डेली स्टार को दिए इंटरव्यू में फेलिसिया ने कहा कि जब उन्हें इस प्रोफेशन के बारे में पता चला तो उन्होंने ठान लिया कि इसमें वो एक्सपर्ट बनेगी। इस कारण उन्होंने स्कूबा डाइविंग सीखी फिर अपनी परफेक्ट पूंछ की तलाश शुरू की। कई संघर्षों के बाद फेलिसिया को उसकी परफेक्ट पूंछ मिल गई। 

    जलपरी बनने की ली ट्रेनिंग

    इस बारें में फेलिसिया ने बताया कि जलपरी की ट्रेनिंग काफी डिफिकल्ट थी। पानी में फेलिसिया काफी एन्जॉय करती थी लेकिन इसमें काफी ट्रिक्स उन्हें सीखनी पड़ी। उन्हें पानी में सांस रोकने की ट्रेनिंग लेनी पड़ी। हम जान अपनी पसंद का काम करते है तो उस काम को काफी एन्जॉय करते है। ठीक उसी तरह फेलिसिया अपने काम को काफी एन्जॉय करती है।

    हालांकि, अपने महंगे पूंछ से वो काफी परेशान है। उन्होंने बताया कि इस जॉब में परफेक्शन के लिए उसने सिलिकॉन की पूंछ बनवाई है। इसकी कीमत उसे लगभग दो लाख पड़ गई. उसके पास इतने महंगे कई डिजाइन की पूंछ है।  

    ऐसे करती है जलपरी का काम 

    हालांकि, हम सबको यह जॉब दिखने में आसान लगती है लेकिन है काफी मुश्किल। फेलिसिया को टैंक में एक घंटे की शिफ्ट लगातार करनी पड़ती है। एक घंटे के बाद उसे ब्रेक मिलता है जिसमें वो बाथरूम जाकर फ्रेश होती है। ऐसे में पूंछ को बार-बार हटाना पड़ता है। इसके अलावा इस प्रोफेशन में टैंक में टॉयलेट न करने से खुद को रोकना काफी मुश्किल होता है लेकिन ऐसा करना काफी जरूरी है। वहीं टैंक में लगातार घंटों रहने से जुकाम हो जाना कॉमन है। लेकिन फेलिसिया अब अपनी जॉब में एक्सपर्टाइज्ड हो गई है।