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वर्धा. कृषि बिल किसानों की हित का बिल है. बिल के कारण कृषि क्षेत्र में नई क्रांति आयेगी. बिल ने किसानों को लुटनेवाले दलालों की श्रृंखला तोडी है. जिससे किसानों को बडा लाभ होगा, ऐसी जानकारी सांसद रामदास तडस ने बुधवार को आयोजित पत्रपरिषद में दी.

सेवाग्राम में आयोजित पत्रपरिषद को सांसद तडस के साथ विधायक डा.पंकज भोयर, किशोर दिघे, नगराध्यक्ष अतुल तराले, मिलींद भेंडे, प्रशांत इंगले तिगांवकर, जयंत कावले, प्रशांत बुरले, गंगाधर कोल्हे आदि उपस्थित थे. पत्रपरिषद में सांसद रामदास तडस ने आगे कहा की, बिल के कारण किसान अपनी उपज कही पर भी बेच सकते है. किसानों के हितो को पूर्ण संरक्षण बिल के कारण मिला है. कृषि बिल लाने की मांग शेतकरी संगठन ने भी की दी. स्वामीनाथन आयोग में भी इस बात जिक्र किया गया. राष्ट्रवादी कॉंग्रेस के नेता शरद पवार ने भी मंडियों के लूट किसानों को आजादी देने की बात अपने आत्मचरित्र में कही है. 10 वर्ष तक देश का कृषि मंत्रालय संभालनेवाले शरद पवार ने अनेक बार बिल का समर्थन किया है.

किंतु आज वही पवार केवल विरोध के लिये विरोध कर रहे है. सन 2006 में महाराष्ट्र सरकार ने एग्रीमेंट के अनुसार खेती करने का कानून बनाया था. जिसमें दलालों कुछ हद में प्राथमिकता दी गई थी. परंतु केंद्र सरकार के नये बिल के कानून दलालो की लुट बंद की गई है. बाजार समिति के अस्तीत्व पर बिल के कारण कोई खतरा नही है. किसानो के ग्यारंटी मूल्य का भी हक्क कायम है. ग्यारंटी मूल्य कम होने पर सरकार किसानों की उपज खरेदी करेगी. किसानों के लिये माल बेचने के लिये पूरा देश खुला हो गया है. जिससे वे अपनी उपज जहां दाम जादा वहां बेच सकते है.

परिणामस्वरूप उन्हे अधिक दाम मिलेगा. युपीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की शिफारिसों पर अमल नही कर किसानों के साथ धोका किया था. कॉंग्रेस पार्टी ने भी चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र बिल की पैरवी की थी. आज वही कॉंग्रेस केवल विरोध के लिये विरोध कर रही है. बिल के विरूद्ध पंजाब छोड देश के अन्य हिस्सों में आंदोलन नही हुआ है. किसानों को पता है की बिल के कारण उन्हे वास्तविक रूप से आजादी मिली है तथा उनके हक का ख्याल रखा गया है. बिल के कारण देश का किसान मजबूत होगा. साथ उसका उत्पादन दुगना करने की दिशा में यह एक बडा कदम है, ऐसा भी सांसद तडस ने कहां.