Kids Corona
File Photo : PTI

    Loading

    वर्धा. कोरोना की तीसरी लहर का परिणाम छोटे बच्चों पर अधिक होने की संभावना विशेषज्ञों ने व्यक्त की है. कोविड-19 की महामारी के बदलते स्वरुप में संक्रमण से बच्चों का संरक्षण कैसे करें, उनका विशेष ध्यान कैसे रखें, इस संदर्भ में सावंगी स्थित दत्ता मेघे आयुर्विज्ञान अभियान विद्यापीठ के स्कूल आफ एपिडीमियालाजी व पब्लिक हेल्थ के स्टेपिंग स्टोन प्रकल्प के अनुसंधान टीम ने मार्गदर्शन तत्व जारी की है.

    पब्लिक हेल्थ स्टेपिंग स्टोन प्रकल्प ने प्रसारित की जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के तहत कोरोना वायरस की दूसरी लहर का बालकों पर अधिक परिणाम हुआ है. इस कारण कोरोना काल में बालकों की ओर अनदेखी करना खतरनाक साबित होगा. बच्चों को लंबे समय तक बुखार, पेट में दर्द, उल्टियां, आंखों में दर्द, बेहोश होने जैसे लक्षण कोविड पर उपचार करने वाले बालरोग विशेषज्ञों को नए से दिखायी दिए है, जिससे कोरोना की तीसरी लहर में ध्यान रखना जरूरी है.

    कोरोना से बचने एहतियात जरूरी

    स्कूल, उद्यान, मैदान, सार्वजनिक स्थल बंद होने से बच्चे घर में ही है, जिस कारण बच्चों में कोरोना का संक्रमण बाहर काम के चलते जाने वाले माता-पिता, दादा-दादी से होने की संभावना अधिक है. इस कारण पालकों ने बाहर से आने के बाद नहाना आवश्यक है. पड़ोस में खेलने के लिए बच्चा जाता है तो उसे मास्क पहनकर भेजें. बाहर से आने पर हाथ-पैर धोने की आदत लगाएं. स्तनपान करने वाले माता कोरोनाग्रस्त होने पर मास्क लगाकर बच्चे को स्तनपान करें. कोरोना का खतरा एक वर्ष के भीतर के बच्चों को अधिक हुआ है. बच्चे व वृद्धों में कोविड के लक्षण भले ही समान हो, लेकिन बच्चों में सौम्य व सर्दी जैसे लक्षन होते है. 

    बच्चों में दिखने वाले कोरोना के लक्षण

    बुखार, सूखी खांसी, गले में खराश, सांस लेने में परेशानी, स्वाद न आना, स्मेल न आना, पेट दर्द, उल्टी, सिरदर्द, बेहोश होना, चिड़चिड़ापन, आंखें लाल होने, कोविड टोज आदि लक्षण बालकों में दिखने की संभावना है. इस कारण बालरोग विशेषज्ञों की सलाह से औषधोपचार करने की सलाह स्टेपिंग स्टोल प्रकल्प के डा़ अभय गाधने, डा़ मनोज पाटील, इंद्रजीत लभाने, सविता तेलंग, प्रभाकर सावध ने दी है.