ग्रामसभा पर रोक, अटका विकास

  • कोरोना संक्रमण के कारण बैठक लेने की अनुमति नहीं

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वर्धा. बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण ग्रामसभा स्थगित रखने के आदेश 12 मई 2020 को ग्राम विकास विभाग ने जारी किए. कोरोना का कहर कम नहीं हुआ और उसके चलते अब भी ग्रामसभा की अनुमति नहीं दी गई है. सालभर में ग्रामस्तर पर विकास की दृष्टि से 4 ग्रामसभा लेना अनिवार्य है़ परंतु कोरोना संकट के चलते जिले की 519 ग्रामपंचायतों में अब तक एक भी ग्रामसभा न होने की जानकारी है.

जिले की ग्रामपंचायतों की सभाएं वर्षभर से नहीं होने से ग्रामों के विकास की गति थम गई हैं. अनेक योजनाओं के लाभार्थियों का चयन रूक गया है. ब्यौरा मंजूर होने के बाद भी प्रलंबित है. शासन निर्णय के अनुसार आर्थिक वर्ष में कम से कम 4 ग्रामसभा लेना आवश्यक है. कोरोना काल के साथ आर्थिक वर्ष समाप्त हो गया, फिर भी ग्रापं के माध्यम से किए जाने वाले विकास कार्य ठप पड़े है. लाभार्थियों का चयन रूक गया है. 1 मई की ग्रामसभा में प्रशासन से रिपोर्ट का पठन होता है. इसके अलावा केन्द्र व राज्य शासन की योजनाओं के लिए लाभार्थियों का चयन किया जाता है.

थम गया विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन

एक भी ग्रामसभा न होने से प्रधानमंत्री आवास योजना, रमाई आवास योजना के लाभार्थियों का चयन नहीं किया जा सका है. रोजगार गारंटी का ब्यौरा मासिक बैठक में 15 अगस्त की ग्रामसभा में मंजूर किया जाता है, लेकिन वर्षभर में एक भी ग्रामसभा नहीं हुई है. गांव में कहां-कहां विकास कार्य करने हैं, उस पर चर्चा नहीं हो सकी. इस तरह 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती पर आयोजित ग्रामसभा में 15 वें वित्त आयोग का संशोधित ब्यौरा मंजूर करना अपेक्षित था. इस ब्यौरे को मंजूर करते समय ग्रामसभा में चर्चा होती है. विकास कार्यों को प्राथमिकता देकर संशोधित ब्यौरा मंजूर किया जाता है. इसके बाद 26 जनवरी की ग्रामसभा होने का अनुमान लगाया जा रहा था.

ग्रामीण के लोगों में निराशा का माहौल

फिलहाल कोरोना ने कहर ढा दिया है. इसमें दिन-ब-दिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है. शासन ने ग्रापं के संबंध में कोई भी आदेश नहीं निकाला. मार्च व अप्रैल भी यूं ही निकल गए. शासन के ग्राम विकास विभाग से 1 मई महाराष्ट्र दिवस पर ग्रामसभा लेने संबंधी परिपत्रक निकालने की उम्मीद थी. वहीं इस बार भी कोरोना के दूसरे चरण में ग्रामीणों को निराश होना पड़ा है. उल्लेखनीय है कि, ग्राम में विकास को लेकर ग्रामसभा में हमेशा चर्चा की जाती थी. इसमें अनेक बार ग्रामीण व पदाधिकारियों के बीच मतभेद होते थे. वहीं अब ग्रामसभा नहीं होने से सरपंच, उपसरपंच व सदस्य इन तीनों की भूमिका गौण हो गई है.