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  • समाधान नहीं करने पर कार्रवाई का प्रावधान

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वर्धा. दिव्यांगों की विभिन्न शिकायतों को सुनने के साथ साथ उचित समाधान के लिए राज्य सरकार ने अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है. शिकायतों पर ध्यान नहीं देने वाले अधिकारियों की नौकरी खतरे पड़ सकती है. संभागीय स्तर पर उपायुक्त, जिलास्तर पर उपमुख्य कार्यपालन अधिकारी व पंचायत समिती स्तर पर गुटविकास अधिकारी (बीडीओ) को दिव्यांगों की शिकायतें सुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

बीडीओ को उपरोक्त जिम्मेदारी सौंपे जाने से ग्रामीण के दिव्यांगों को जिलास्तर तक गुहार लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनकी समस्याएं पंस स्तर पर ही हल होगी. इस संबंध में राज्य सरकार ने जीआर जारी कर दिया है. दिव्यांग कल्याण आयुक्तालय ने केंद्र शासन के दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 23 के अनुसार जारी निर्देश के तहत ग्राम विकास विभाग के अंतर्गत पंचायतराज संस्था के विभाग स्तर शिकायत निवारण अधिकारी तय कर दिए है. सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका की सुनवाई में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी तय की गई है.

8 पंस में सुनी जायेगी शिकायतें

राज्य सरकार के आदेश बाद जिलास्तर पर उपमुख्य कार्यपालन अधिकारी शिकायत सुनेंगे. जिले के वर्धा, हिंगनघाट, समुद्रपुर, सेलू, देवली, आर्वी, कारंजा व आष्टी पंस के बीडीओ दिव्यांगों की शिकायतें सुनने के बाद उसका निवारण करेंगे. नियमों के तहत शिकायत सुनकर अधिकारी उसका समाधान निकालेंगे.  करेंगे. कार्यवाही नहीं करने पर अधिकारी के खिलाफ अनुशासन भंग की कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. 

केंद्र ने लागू किया कानून

केंद्र शासन ने अप्रैल 2017 में दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 कानून देशभर में लागू किया है. सामाजिक न्याय विभाग ने पंचायतराज संस्थाओं की आय की पांच प्रतिशत निधि दिव्यांगों की कल्याणकारी योजना पर खर्च करने को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जून 2018 में जारी किए है.

शिकायत प्रलंबित नहीं

दिव्यांगों की शिकायतों के संदर्भ में उनके संगठन के अथवा पीड़ित की शिकायत पर सीईओ के कक्ष में बैठक ली जाती है. बैठक में उनकी शिकायत का निवारण किया जाता है. फिलहाल कोई शिकायत प्रलंबित नहीं है. 

-विपीन जाधव, डिप्टी सीईओ-जिप.

मुझे जानकारी नहीं

फिलहाल कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी चल रही है. इस संबंध में मुझे उतनी जानकारी भी नहीं है. दो दिनों में जानकारी देंगे.

-विपुल जाधव, उपमुख्य कार्यपालन अधिकारी.

ग्राउंड लेवल पर अमल जरूरी

दिव्यांगों की अनेक समस्याएं है, परंतु उन्हें सुनने के लिए कोई भी नहीं है. जीआर भले ही जारी किए  जाते है, लेकिन उस पर ग्राउंड लेवल पर अमल नहीं किया जाता. जैसे कि 2016 के एक्ट के तहत कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. जिलाधिकारी कार्यालय में दिव्यांगों के लिए न तो लिफ्ट की सुविधा है और न ही रैम्प की, जिससे कोई भी दिव्यांग जिलाधिकारी से नहीं मिल सकता. अब सरकार की ओर से जारी नए जीआर पर अमल होता है तो दिव्यांगों को फायदा होगा.

-प्रमोद कुरटकर, जिलाध्यक्ष, प्रहार दिव्यांग क्रांति.