Crisis Congo Homorrhagic Fever Crisis

  • बाधित पशु के संपर्क आनेवाले व्यक्ती को खतरा
  • पशुपालक व नागरिकों में दहशत व्याप्त

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वर्धा. गुजरात के बोताड व कच्छ में क्रिमीन कोंगो होमोरेजिक फिवर का प्रकोप पशुओं पर पाया गया़ यह बिमारी झुनोटिक स्वरुप की याने पशुओ से मनुष्य को होनेवाली बिमारी है. कोरोना के साथ अब इस संक्रमण का नया संकट जिले पर मंडरा रहा है. परिणामवश जिले के पशुपालक व नागरिकों में दहशत व्याप्त है. उक्त बिमारी कोंगो, दक्षिण आफ्रिका, चीन, हंगेरी, इराण आदि देशों में हुई है. यह बिमारी नैरो वाइरस इस विषाणू से होती है. यह विषाणू मुख्यता ह्यालोमा इस प्रजाति का हैं, जो गोचीड (किटक) द्वारा एक पशु से दूसरे पशु को बाधित करती है. उल्लेखनिय यह कि, यह संक्रमण पशुओं के संपर्क में आनेवाले मनुष्य को भी चपेट में लेता है. इस बिमारी के लक्षण पालतु पशु तथा ऑस्ट्रीच, शहामृग जैसे पंछियो में दिखाई नहीं पडते, परंतु यह पशु व पंछी इस बिमारी को फैलाने में मदद करते है. इन पशुओं के संपर्क में आनेवाले व्यक्ती को यह बिमारी होने की आशंका है.

उल्लेखनिय यह कि, बाधित पशु का मांस खाने तथा उनके खुन के संपर्क में किटक के काटने से मनुष्य पर इसका असर होता है. मनुष्य पर इसका असर अत्याधिक घातक होने से बाधित लोगो में 30 फिसदी लोगों पर समय रहते निदान अथवा ईलाज नहीं हुआ तो उन्हें अपनी जान भी गवानी पड सकती है. इस विषाणुजन्य बिमारी के खिलाफ प्रभावी व हमखास उपयुक्त ईलाज उपलब्ध नहीं है. इस लिए बाह्य किटक उच्चाटन करणा ही एकमात्र प्रतिबंधात्मक उपाय बताया गया.

इस बिमारी में मनुष्य का सिर दूखता है, अधिक बुखार आना, हड्डिया में दर्द, पेटदर्द, उलटी होने जैसी लक्षण पाये जाते है. बिमार व्यक्ती की आंखे लाल दिखाई देती है. गले एवं मुंह के ऊपरी हिस्से में लाल डाग आते है. बिमारी बढने पर नाक, पेशाब अथवा त्वचा से रक्तस्त्राव होता है. कुछ मरिजों में पीलिया जैसे लक्षण पाये जाते है. इस बिमारी में मृत्यु का प्रमाण 9 से 30 फिसदी है.

खबरदारी के तौर पर पशु, भेड बकरिया, तबेले में गोचींड किटको को नष्ट करना जरुरी है. इसके लिए बाहय किटक, गोचीड को नष्ट करने औषधी का पशु तथा तबेले में उचित मात्रा में छिडकांव करें, संपर्क न आए इस लिए किटक हाथ से न मारे. पशु वैद्यकीय संस्था में उपलब्ध बाहय किटक नाशक औषधी प्राथमिकता से उपयोग में लाए. कच्चे मांस के ग्रहण करने पर यह बिमारी होती है, इस लिए मांस पकाकर खाए, बिमार पशुओं पर ईलाज करते समय चिकित्सक हैन्डग्लोज, मास्क, संरक्षक चष्मा आदि का उपयोग करें. शवविच्छेदन करते समय जरुरी उपाययोजना करें, गुजरात से बडी मात्रा में महाराष्ट्र में गीर गाय, मेहसाना व जाफ्राबादी भैस व भेड बकरिया आती है.सीसीएचएफ यह बिमारी गुजरात के कच्छ व बोताड जिले में नियंत्रण में नहीं आती तब तक गुजरात राज्य के जिलो से पशुओं की आपूर्ति न करें. इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने का आवाहन जिला पशुसंवर्धन अधिकारी डा़ प्रज्ञा डायगव्हाणे ने किया है.