हिंगनघाट. अन्य बिजो की तुलना में सोयाबीन के बीज की दर में डेढगुना बढने से किसानों को गहरा धक्का लगा है. खरीप हंगाम की तयारी कर रहे किसानों को अब नगद की फसल सोयाबीन की खेती कैसे करे ये सवाल सता रहा है.
कपास के बाद सोयाबीन की फसल नगद की फसल होने से किसान बडी मात्रा में सोयाबीन की फसल उगाते है. पिछले साल सोयाबीन की फसल ने धोखा दिया था. तहसील में सोयाबीन की 30 से 40 प्रतिशत ही फसल हुई थी. जिस वजह किसान आर्थिक संकट में आया. नफा मिलना तो दूर लागत खर्चा भी नहीं निकल पाया था.
इतनी कम फसल होने से बीज के लिए भी सोयाबीन बचे नहीं थे और अब सोयाबीन के बीजों में डेढगुणा की बढ़ोत्तरी किसान की कमर तोड़ने वाली हो गई है. पिछले साल उपज कम होने से किसानों को बैंक कर्ज, सावकार से लिया पैसा और अन्य भुगतान कर पाना संभव नहीं हुआ था. कम फसल की वजह से बीज के लिए भी सोयाबीन बचाकर नहीं रख पाए. अब इतनी बढ़ी दर से बीज कैसे खरीदे, इसकी चिंता किसान को सता रही है.
पिछले हंगाम में सोयाबीन की फसल कम होने से बाज़ार में भी सोयाबीन महंगे दामो में बिकने लगा था. आवश्यकता नुसार फसल नहीं होने से सोयाबीन के आपूर्ति में कमी आईं और इसी वजह से सोयाबीन के बीज की दर देढ़पट के बढ़े भाव में बेची जाने की बात हो रही है.सरकार ने इसी को देखते किसानों को हित में कुछ कड़े निर्णय लिए है.
जिसमे बीज, खाद और अन्य सामानों की कीमतें बढ़ाने वाले पर कारवाही करने चेतावनी दी थीं. कोरोना संकट में सभी आर्थीक संकट से झुज रहे है. और अब मौका मिलने पर कैसे ज्यादा कमाए इस और उनकी कोशिश हो रही है. लेकीन इसमें इस आम किसान की कमर टूटने से इस मौसम में उसको खेती करना मुश्किल हो रहा है.