धान की तरह कपास उत्पादकों को भी बोनस दे

  • एड. सुधीर कोठारी ने की मांग

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हिंगनघाट. महाराष्ट्र सरकार ने धान उत्पादको बोनस घोषीत कर एक अच्छा निर्णय लिया है़ इसी तर्ज पर कापूस उत्पादकों को भी प्रति क्विंटल 1000 बोनस घोषीत करें. देश की अर्थव्यवस्था का बढा आधार होनेवाले कपास उत्पादक किसानों को राहत देने की मांग बाजार समिति के अध्यक्ष एड. सुधीर कोठारी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सहकार व पणनमंत्री तथा कृषि मंत्री को भेजे ज्ञापन में की है़ 

ज्ञापन में एड. कोठारी ने कहा कि, पुरी दुनिया कोरोना महामारी से लढ रही है़ इसका बुरा असर अर्थव्यवस्था पर हुआ है़  बावजुद इसके देश के किसान ने अर्थव्यवस्था को काफी राहत दी है़ परंतु इस बार लौटती बारिश ने किसानों का भारी नुकसान हुआ है़  इससे किसान आर्थिक संकट से घिर गया़  खरीफ मौसम में बोगस बिजो के कारण सोयाबीन की फसल उगी ही नहीं. दोबार बुआई में चक्रीभुंगा व विषाणू बिमारियों से सोयाबीन की फसल हाथ से निकल गई़ ऐसी स्थिति में लौटती बारिश ने कपास फसल भी नष्ट कर दी़ कपास भीग जाने से उचित मूल्य किसानों को नहीं मिल रहा़ बोंड इल्ली ने भी कपास का उत्पादन घटा दिया़ आगामी रबी मौसम के लिए तैयारियो में किसान जुटा तो है, किन्तु आर्थिक संकट सामने खडा होने वें कुछ नहीं कर पा रहे़  दीपावली जैसा बढा त्योहार अंधेरे में चले गया.

जरुरत के कारण कवडीमोल मूल्य में कपास बेचने पर किसान विवश हो गया़  किसी तरह बचिकुची फसल में कपास अच्छी होंगी, ऐसी उम्मीद किसानों को है़ परंतु बोंड इल्ली ने किसानों की चिंता बढा दी़ गत वर्ष की तूलना में इस बार 50 से 60 फिसदी तक कपास का उत्पादन घटने की आशंका है़ अन्नदाता किसानों के पिछे सरकार ने खडा रहने की आवश्यकता है, ऐसा भी एड. कोठारी ने ज्ञापन में कहा़  जिस प्रकार सरकार ने धान उत्पादको 700 रु प्रति क्विं. बोनस घोषीत किया, उसी तरह कपास उत्पादक किसानों को न्यूनतम 1 हजार प्रति क्विंटल बोनस दिया जाए, ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके.

साथ ही किसानों की ओर शेष कपास बिक्री के लिए हिसाब की पट्टी, सातबारा, बैंक खता पासबूक, आधार क्रमांक आदि दस्तावेजों की जांच कर अनुदान (बोनस) देने पर गैरकानूनी काम टाला जा सकता है़  ऐसा भी ज्ञापन में बाजार समिति के सभापति कोठारी ने कहा़  अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में विदर्भ की सोयाबीन व कपास फसल नामशेष हो जाएंगी़ इसका परिणाम उद्योग व रोजगार पर हो सकता है़ ऐसा भी एड. सुधीर कोठारी ने ज्ञापन में कहा है़