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आर्वी. 13 करोड गोरबंजार समाज का एकसूत्र में गठन करें, अनुसुचित जमाति की तरह सुविधा देने सहित विविध मांगो को लेकर गोरसेना ने राष्ट्रीय नेता संदेश चव्हाण के नेतृत्व में बुधवार को एसडीओ कार्यालय पर मोर्चा निकाला. पश्चात मांगो का ज्ञापन उपविभागीय अधिकारी हरिष धार्मिक को सौंपा गया.

व्यवसाय के दृष्टिकोण से गोरबंजारा समाज विविध राज्य में बिखरा है. ब्रिटीश सरकार ने 12 अक्टूबर 1871 को अपराधी जमाति कानून अंतर्गत वर्गीकृत कर इस समाज को अन्य 160 जमाति सहित एकसूत्र में बांधा था. परंतु आजादी के बाद इस समाज को बिखरने का काम विविध राज्य की सरकार ने किया. 1871 तक ब्रिटीश साम्राज्य में गोरबंजार समाज एक ही जमात के तौर पर माना जाता था.

लेकिन उसके बाद लंबडा, लभणी, लभाना, लदेणीय, बाजीगर, सिर्कीबंद, गोर, गोआर, गोरमाटी, मथुरा बंजारा, गाराश्या, सुगालीया, बंजारा, बंजारी, चरण बंजारा, भाट बंजारा महारु बंजारा, कांगशीय बंजारा ऐसे 40 से अधिक नाम देकर समाज की असली पहचान मिटाने का प्रयास किया. समाज को जान बुझकर विभाजीत करने का आरोप संदेश चव्हाण ने लगाया. परंतु गोर बंजारा समाज प्राचीन समय से देश की उन्नति व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. जिस कारण समाज को न्याय दें तथा शासन ने समाज की एक ही अनुसुचि में पंजीयन कर सहूलियत देने की मांग गोर बंजारा सेना ने की. मोर्चा में बडी संख्या में लोग शामिल हुए.