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प्रतीकात्मक तस्वीर

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    • कृषि विभाग के कर्मियों का आंदोलन

    वर्धा:  कोरोना महामारी की पहली तथा दुसरी लहर का मुकाबला करते समय कार्यरत सरकारी कर्मचारियों का योगदान सराहनीय है़  फ्रंट लाईन योद्धा की भुमिका के रूप में कार्यरत रहने के बावजूद भी मांगों की ओर अनदेखी की जा रही है़  अब सरकार कोरोना को ढाल नहीं बना सकती, ऐसा कहते हुए गुरूवार को कृषी विभाग के कर्मचारियों ने राष्ट्रीय विरोध दिन के रूप में काली फित लगाकर कार्यालय में आंदोलन किया़  

    डेढ वर्ष से कोरोनाकाल में केंद्र व राज्य सरकार का अर्थचक्र धिमा हुआ है़  फिर भी आपत्ति व्यवस्थापन के माध्यम से महामारी का मुकाबला करते हुए कर्मचारियों ने ड्युटी निभाई़  लेकिन देश में पेट्रोल-डिजल की किमते बढ गई है़  जिसका परिणाम सभी स्तर पर हुआ है़  महंगाई बढते ही भत्ता देने की निती सरकार की रहती है़  लेकिन कोरोनाकाल में केंद्र व राज्य सरकार ने गतिमंग आर्थिक स्थिती का कारण देकर सभी अनुज्ञेय व महंगाई भत्ते रोक दिए गए है़.

    केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 से केंद्र कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने की घोषणा की़  महाराष्ट्र सरकार को भी यह महंगाई भत्ता देना पडेगा़  महंगाई से कर्मचारी परेशानी में है़  महंगाई भत्ता तथा सातवा वेतन आयोग की बकाया तिसरा हप्ता 5 माह के महंगाई भत्ता की रकम, राज्य सरकारी कर्मचारियों को देकर महंगाई के इस काल में राहत देने की जरूरत है़  केंद सरकार ने जीएसटी संकलन के 40 हजार करोड रुपए महाराष्ट्र को देने की जरूरत है़.

     राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढाने के लिए अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की ओर से आंदोलन किया गया़  आंदोलन में राज्य सरकारी मध्यवर्ती संगठन के अध्यक्ष एच़ एम़ लोखंडे, कार्याध्यक्ष नितीन कराले, सरचिटणीस विनोद भालतडक के साथ ही अन्य कर्मचारियों का समावेश था़ 

    कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

    पीएफआरडीए कानून रद्द कर सभी को पेंशन योजना लागू करें, सभी का नि:शुल्क टीकाकरण तत्काल करें, सेवा क्षेत्र को मजबुत करने सभी रिक्त पदों को भरें, जितने भी कर्मचारियों की कोरोना से मौत हुई उनके परिजनों को नौकरी दी जाए, ठेका पद्धति से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करें, केंद्र सरकार जीएसटी का बकाया राज्य सरकार को तत्काल दें, बक्षी समिति रिपोर्ट का दुसरा खंड प्रसिद्ध करें, केंद्र की तर्ज पर राज्य कर्मचारियों को सभी प्रकार के नौकरी भत्ते लागू करें, आदि विभिन्न मांगे की गई़