- जिलाधिकारी ने न्यायालय में रखी जानकारी
- समाजसेवी शर्मा ने दायर की थी याचिका
वर्धा. सर्व सेवा संघ को सौ से अधिक प्रतिनिधि की उपस्थिति में अधिवेशन करने की दी गई अनुमति जिलाधिकारी ने अंतत: पिछे ले ली. प्रकरण में एचसी ने डीएम को फटकार लगाने की जानकारी है. समाजसेवी राजेंद्र शर्मा ने उक्त अनुमति पर आपत्ती जताते हुए मुंबई हाईकोट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की थी. पिछली सुनावनी में उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इसके अनुसार जिलाधिकारी ने अपनी गलती मानते हुए केवल 50 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ही अधिवेशन करने की अनुमति दी जाएगी, ऐसा न्यायालय को बताया है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विनी आठल्ये ने कामकाज संभाला. मामले में न्यायमूर्ती सुनील शुक्रे तथा न्यायमूर्ती अविनाश घरोटे के समक्ष सुनावनी ली गई थी.
दायर याचिका में कहा गया था कि, गांधी विचारवंतों की मातृसंस्था कहे जानेवाली सर्व सेवा संघ का यह अधिवेशन सेवाग्राम के कस्तुरबा मेडिकल हॉल में 28 व 29 नवम्बर को आयोजित किया गया है. 27 अक्टूबर को जिलाधिकारी ने उक्त अधिवेशन में 200 प्रतिनिधियों के सहभागीता पर अनुमति दे दी थी. राज्य सरकार द्वारा 30 सितम्बर व 29 अक्टूबर को जारी किये गए आदेश के अनुसार 30 नवम्बर तक केवल 100 अथवा इससे कम लोगो की उपस्थिति में ही कार्यक्रम के आयोजन को अनुमति दी है. ऐसा होते हुए भी वर्धा के जिलाधिकारी ने सर्व सेवा संघ के अधिवेशन में 200 प्रतिनिधी के सहभागीता पर अनुमति कैसे दी, यह सवाल उपस्थित किया गया था.
डीएम ने मानी गलती
जिलाधिकारी द्वारा दी गई अनुमति राज्य सरकार के आदेश की अवहेलना है. ऐसा याचिकाकर्ता ने अपने आपत्ती में कहा. प्रकरण की सुनावनी के बाद न्यायालय को याचिकाकर्ता द्वारा दी गई जानकारी में महत्वपूर्ण बाते ध्यान में आयी. जबकि इस संबंध में जिलाधिकारी द्वारा भी उचित स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया. 200 लोगों को किसी भी कार्यक्रम में अनुमति नहीं, फिर अधिवेशन में कैसे अनुमति दी गई. ऐसी फटकार न्यायालय ने डीएम को लगायी़ इसपर शुक्रवार, 27 नवम्बर को स्पष्टीकरण पेश करने के आदेश जिलाधिकारी को दिये गए थे. अंतत: जिलाधिकारी ने अपनी गलती मान्य करते हुए अधिवेशन को दी गई अनुमति वापिस लेने की बात स्पष्ट की. न्यायालय ने प्रकरण पर आज आगामी सुनावनी तय की थी. इसमें जिलाधिकारी ने अपनी गलती मानने के बाद अधिवेशन के लिए केवल 50 लोगों की अनुमति देने की जानकारी हाईकोर्ट को दी है.